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पर्यावरण और मौसम को समझने जल तरंग पहुंच रहे हैं बच्चे, सात नदियों का जल मिलकर बना है बड़ा तालाब
भोपाल न्यूज़: बताया गया है कि सात नदियों का जल मिलकर बड़ा तालाब बना है. अब नदियों पर कब्जा व नालों के जुढऩे से तालाब में बारिश का पानी कम गंदगी व कीचड़ बहकर ज्यादा आती है. हाल यह है कि तालाब में पानी से अधिक तो गाद जमी हुई. जिसकी बड़े स्तर पर सफाई 2003 में भोजवेटलैंड परियोजना के तहत हुई थी. उसी योजना में जलतरंग की नींव रखी गई थी. शहर ही नहीं प्रदेश की जल स्त्रोत की जानकारी कम्प्युटर तकनीक से यहां लोगों को दिखाई व समजाई जाती है. इसके साथ ही बच्चों की मौजमस्ती के लिए उपकरण भी रखे गए है. बच्चे व युवा यहां खेल-खेल में पर्यावरण व पानी के स्त्रोत नदियों की जानकारी लेने पहुंचते है.
मार्च, अप्रेल का महीना गर्मी की जगह बारिश जैसा बीता. लोग पानी की किल्लत की जगह पानी के ज्यादा गिरने से परेशान नजर आए. इसका असर जलतरंग में नजर आने लगा है, जो 2004 में शुरू हुआ 2012 में बंद था. दस माह पहले ही नए कलेवर में शुरू किया गया है. बड़े तालाब पर बोर्ड क्लब के सामाने पहाड़ी पर बने जल तरंग में प्रदेश में पानी की कहानी, पर्यावरण व मौसम की जानकारी के लिए युवा बहुत कम पहुंच रहे थे,लेकिन दो माह से जिस तरह से मौसम बदल रहा है. जल तरंग में लोगों का रुझान बढ़ा है. प्रबंधन ने भी बच्चों के कैंप के साथ बदलने पर मौसम से लोगों को जागरुक करने की योजना तैयार करेगा.
पानी की वेल्यू पर डाक्यूमेंट्री फिल्म: भोजवेटलैंड परियोजना में बनी फिल्मों को पानी के महत्व का नई तकनीक से तैयार तो किया है. बदलते क्लाइमेट पर भी लोगों को जागरुक करने की योजना है. बच्चों को फिर से इसकी ओर आकर्षित करने के लिए शुरु में केम्प शुरू किए थे,लेकिन अब लोग इसे देखने आने लगे है. जिस तरह से मौसम बदल रहा है, उस पर जागरुक होना चाहिए. मनोहर पाटिल, इंचार्ज,जलतरंग, इप्को
पानी की वेल्यू पर शहर वासियों व बच्चों को जागृत करने के लिए डाक्यूमेंट्री फिल्म अब बोर्ड क्लब पर बने जलतरंग में एक दशक बाद फिर मनोरंजन के साथ देखने को मिलेगी. प्रबंधन ने इसे दो करोड़ रुपए की लागत से इसे नए कलेवर में तैयार किया है. वर्तमान में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधीन है. इसे दोबारा उनके प्रयासों से शुरु किया गया है.