मध्य प्रदेश

नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी, आरोपी की जमानत याचिका ख़ारिज

Shantanu Roy
16 Jun 2022 10:10 AM GMT
नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी, आरोपी की जमानत याचिका ख़ारिज
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कोर्ट ने दिया फैसला

जबलपुर। सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने कंपनी में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी की आरोपित जबलपुर निवासी हर्षिता सिंह की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक अरविंद जैन ने जमानत अर्जी का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि गोरखपुर, जबलपुर पुलिस ने धाेखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।

आरोपित से अपने साथियों के साथ मिलकर सीवायएल फैशन मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा दिया। कंपनी में होने वाले व्यापार से मुनाफा देने का प्रलोभन दिया। इसके लिए पहले चरण में भोले-भाले शिकायतकर्ताओं ने रुपये ले लिए और बाद में लौटाने से मना कर दिया। ऋषिकेश सिंह, सनी सिंह, अभयराज, अजय सिंह, शिवम गुप्ता, ललिता मार्को, सुप्रिया विश्वास, अलका पटेल, संगीता सिंह, मनीषा सिंह, मनीषा गुप्ता, तरुण केवट, नारायण दत्त तिवारी व रेखा सिंह ठगे गए।
इन सभी ने मोटी रकम वसूलने के बाद शर्त रखी गई कि चेन सिस्टम के तहत और लोगों को जोड़ो। इसके बाद मुनाफा मिलेगा। यदि बार-बार पैसे की मांग की तो झूठे केस में फंसा देंगे। जब सभी निवेशकों से खुद को ठगा महसूस किया तो थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। अदालत ने सभी तर्क सुनने के बाद जमानत अर्जी निरस्त कर दी।

अभियोजन की ओर से दलील दी गई कि इस तरह के मामले समाज के लिए अभिशाप है। आम आदमी मेहनत-मशक्कत से पूंजी जुटाता है। उसे इस तरह लूट लिया जाता है। इससे समाज में अवसाद पैदा हो रहा है। लुटने वालों को बड़ी पेचीदगी के बाद अपनी रकम मिल पात है। इस बीच समाज का आर्थिक ताना-बाना खराब हो जाता है। लोग कर्जदार होने विवश होते हैं। जबकि लूटने वाले लूट की रकम से कानूनी लड़ाई में जुटे रहते हैं। ऐमें सख्ती आवश्यक है। ऐसे ठगों पर लगाम के लिए सरकार को निर्देश जारी किए जाने चाहिए। पुलिस व आईबी को सक्रिय रहना चाहिए। संदेह होते ही दबिश आवश्यक है।

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