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देशभर में लोन ऐप से ब्लैकमेलिंग का खेल, हर बार भेज रहे नई लिंक
इंदौर न्यूज़: लोन ऐप से पैसे देने के बाद ब्लैकमेलिंग का खेल देशभर में जारी है. विभिन्न स्थानों से अलग-अलग गैंग यह काम रही हैं. क्राइम ब्रांच के पास पहुंची ढेरों शिकायतों को लेकर अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है. तकनीकी जांच के आधार पर हरियाणा गैंग का सदस्य पकड़ाया है. पता चला है कि बदमाश लोगों को ब्लैकमेल करने के बाद खाते में रुपए बुलाने के लिए हर बार नई लिंक भेजते हैं, ताकि वे पकड़ में न आएं.
हाल ही में क्राइम ब्रांच ने हरियाणा गैंग के सदस्य राजकमल कुमार पिता सुभाष कुमार प्रसाद निवासी गुरुग्राम (हरियाणा) को पकड़ा है. डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है. उसने बताया था कि वे जिस वेबसाइट से लोन ऐप लेने वालों का डाटा लेते हैं, उसका पासवर्ड बदलते रहते हैं. ब्लैकमेलिंग की राशि बुलाने के लिए गैंग पीड़ित को हर बार नई लिंक भेजती है, ताकि उन्हें आसानी से ट्रेस न किया जा सके. एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर के मुताबिक, आरोपी ने बताया है कि क्लाउड लोन ऐप कंपनी के माध्यम से लोगों का निजी डाटा प्राप्त किया जाता है. यह ऐप चाइना से संचालित है. इसे बनाने वाले कौन हैं और कहां से होस्ट हो रही है, इसका पता लगा रहे हैं.
ऐसे काम करता है गिरोह: एडिशनल डीसीपी पाराशर ने बताया, लोन ऐप से ब्लैकमेलिंग कर रहे गिरोह अभी दिल्ली, हरियाणा, हैदराबाद, असम, बिहार, ओडिशा, बेंगलूरु के आसपास सक्रिय हैं. गैंग एक ऐप से डाटा लेकर यह पता लगाती है कि कितने लोगों ने लोन लिया है और उनके द्वारा भुगतान कितने समय में किया जाना है. इसके बाद गैंग ऐप से लोन लेने वाले व्यक्ति को वाट्सऐप कॉल कर अधिक पैसे मांगती है. इनकार करने पर व्यक्ति के मोबाइल से निजी डाटा जैसे फोटो-वीडियो को अश्लील तरह से एडिट कर उसे वायरल करने की धमकी दी जाती है. पैसे जमा कराने के लिए पीड़ित को गैंग द्वारा लिंक भेजी जाती. इसी लिंक से विदेश में बैठे लोगों तक पैसा पहुंचाते हैं. ब्लैकमेलिंग की राशि में से सदस्य को कमीशन मिलता है. कमीशन किस तरह खाते में आता है, इस संबंध में पुलिस जानकारी जुटा रही है. पता चला है कि कंपनी लोगों को ब्लैकमेल करने वाले गिरोह को ठेके पर डाटा देती है.
आरबीआइ से मांगेंगे जानकारी: इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोन ऐप आरबीआइ से रजिस्टर्ड हैं या नहीं, इस संबंध में अधिकारी जानकारी जुटा रहे हैं. अब तक की जांच में जितने भी फर्जी लोन ऐप सामने आए हैं, उनके पीछे एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशिल कंपनी) का हाथ है. अधिकारियों का कहना है कि इंटरनेट पर लोन ऐप के जितने भी इश्तेहार चल रहे हैं. उनमें से कौन सही या गलत है, इसका पता लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है. डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक, भोपाल स्थित आरबीआइ कार्यालय से पत्र व्यवहार कर रजिस्टर्ड ऐप के संबंध में जानकारी मांगी जाएगी.