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भोपाल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी मालवा और निमाड़ में वर्ष 2013 के चुनाव के नतीजों को दोहराना चाहती है। इसके लिए उसने तैयारी भी तेज कर दी है।मालवा-निमाड़ इलाके पर गौर करें तो यहां विधानसभा की 66 सीटें हैं। यहां के नतीजे सत्ता का रास्ता तय कराती हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां पर जमकर पिछड़ी। यही कारण रहा कि उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। 2013 में जहां भाजपा को यहां 66 सीटों में से 57 पर जीत मिली थी तो वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 27 पर आकर ठहर गया।
इस इलाके में भाजपा को 2013 के मुकाबले 30 सीटों का घाटा हुआ था। भाजपा ने मालवा को लेकर खास तैयारी शुरू की है। यह बात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इंदौर दौरे से साफ हो गई है। अमित शाह ने जहां एक तरफ बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में साफ तौर पर उनकी ताकत का एहसास कराया और कहा कि मंच पर बैठे हुए नेता नहीं बल्कि आप लोग चुनाव में जीत तय करते हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने मालवा और निमाड़ इलाके पर अपनी रणनीति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस इलाके में राज्य के आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 में से 22 सीटें हैं। आदिवासियों के लिए प्रदेश और केंद्र की सरकार ने तमाम योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं का लाभ जन-जन तक मिल रहा है और जिन्हें नहीं मिल रहा है, उन्हें इससे लाभान्वित करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।
कुल मिलाकर देखा जाए तो राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 25 फ़ीसदी से ज्यादा सीटें मालवा-निमाड़ से आती हैं। इस इलाके में जिस भी दल को बड़ी सफलता मिली, उसके लिए सत्ता का रास्ता आसान हुआ। इसी के चलते भाजपा अब क्षेत्रीय आधार पर रणनीति बनाने में जुटी हुई है।
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