मध्य प्रदेश

90 किलो के बच्चे को दिया जन्म,16 सदस्यों का हुआ परिवार

Admin4
30 July 2022 11:20 AM GMT
90 किलो के बच्चे को दिया जन्म,16 सदस्यों का हुआ परिवार
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news credit; amarujala

पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार अनारकली से जन्मा पहला नर हाथी पांच साल का हो गया है, पूरी तरह स्वस्थ्य है। उसका नाम बापू रखा गया है। जन्म 2 अक्टूबर 2017 को गांधी जयंती के दिन हुआ था।

पन्ना टाइगर रिजर्व से अच्छी खबर सामने आई है। यहां पर मौजूद "अनारकली" हथिनी ने स्वस्थ्य मादा बच्चे को जन्म दिया है। अनारकली चौथी दफा मां बनी है। इसके पूर्व अनारकली ने पांच साल पहले 2 अक्टूबर को नर बच्चे को जन्म दिया था, जिसका नाम रखा गया था "बापू", जो पूरी तरह स्वस्थ्य है। यहां हाथियों का कुनबा अब 16 हो गया है।

पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन से मिली जानकारी अनुसार अनारकली हथिनी ने बीते रोज तडके करीब 3 बजे एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया है। पीटीआर के गहरीघाट एरिया के हाथी कैंप सकरा में अनारकली को रखा गया है, यहीं पर उसने बच्चे को जन्म दिया है। अनारकली और उसका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। नन्हे मादा हाथी का वजन लगभग 90 किलो बताया जा रहा है। पीटीआर के चिकित्सक अनाकरली और बच्चे दोनों का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं।

पांच साल का होगा पहला बच्चा "बापू"

पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार अनारकली से जन्मा पहला नर हाथी अब पांच साल का हो गया है और पूरी तरह स्वस्थ्य है। उसका नाम बापू रखा गया है। कारण उसका जन्म 02 अक्टूबर 2017 को गांधी जयंती के दिन हुआ था। हाथियों की देखभाल करने वालों ने उसका नाम बापू रखा था।

पीटीआर में 16 हाथी, 75 से अधिक बाघ

पन्ना टाइगर रिजर्व में नन्हे मेहमान हाथी को मिलाकर हाथी दल में कुल 16 सदस्य शामिल हो गए हैं। जबकि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या लगभग 75 से 80 के बीच बताई जा रही है। हाथी दल यहां सबसे अहम भूमिका निभाता है। पीटीआर में बाघ गश्ती दल इन्हीं पर सवार होकर सुरक्षित तरीके से बाघ ट्रेकिंग का काम करता है। पर्यटकों को भी सफारी के लिए हाथी का ही उपयोग किया जाता है। बीते महीने केनकली हथिनी का बच्चा खत्म हो गया था पीटीआर में बीते महीने हथिनी केनकली का एक महीने का नर हाथी खत्म हो गया था। उसके पीछे के पैरों में लकवा जैसी अज्ञात बीमारी हो गई थी, जिसके कारण वह अपने पैरों पर खडा नहीं हो पाता था, न ही वह मां का दूध फीडिंग कर पाता था। तमाम प्रयासों के बावजूद उसकी जान नहीं बची।


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