- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- सीएम शिवराज सिंह चौहान...
मध्य प्रदेश
सीएम शिवराज सिंह चौहान का बड़ा ऐलान, राज्य सरकार देगी 5 लाख का पुरस्कार
Deepa Sahu
14 Nov 2021 2:14 PM GMT
x
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जनजातीय भाई-बहनों को अधिकार संपन्न बनाने और उनके विकास में राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने यहां जनजातीय संग्रहालय में जनजातीय नायकों की गैलरी का लोकार्पण करने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि जनजातीय कला और संस्कृति के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए हर साल राजा संग्राम शाह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार में पांच लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
हम योद्धा भी हैं
शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय कलाकारों का भोपाल में स्वागत करते हुए कहा कि आप लोग भोपाल 'जनजातीय गौरव दिवस' पर आए हैं। जनजातीय गौरव दिवस का अर्थ है, हम योद्धा भी हैं। जनजातीय वीरों ने भारत माता के पैरों से गुलामी की बेड़ियां काटने के लिए अपने खून की अंतिम बूंद तक अर्पित की है। बिरसा भगवान, टंट्या मामा, राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह, भीमा नायक जैसे अनेक योद्धाओं ने अंग्रेजों को ललकारा। जनजातीय वीरों का अंग्रेजों के मन में भय रहा। शिवराज ने कहा कि हमारी विरासत वीरता और बलिदान से भरी है। राजा संग्राम शाह, दलपत शाह, रानी दुर्गावती और भोपाल की रानी कमलापति का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। जनजातीय समुदाय की विरासत, वीरता और बलिदान से भरी है। प्रदेश आज जनजातीय रंग में रंगा है। हमारी संस्कृति, कला, नृत्य परंपराएं अद्भुत हैं। जनजातीय समाज अपने आनंद और मस्ती में जीवन को जीता है, यह इस समाज की विशेषता है।
महान योद्धा राजा संग्राम शाह जी के नाम पर प्रतिवर्ष उस कलाकार को ₹5 लाख का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जिसका जनजातीय कला, गीत-संगीत के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन और उल्लेखनीय योगदान होगा।#जनजातीय_गौरव_दिवस pic.twitter.com/vwdXkU7Xms
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 14, 2021
बताई रानी कमलापति की कहानी
सीएम ने कहा कि रानी कमलापति के बलिदान को हम भुला नहीं सकते। गिन्नौरगढ़ से लेकर गढ़ा मंडला तक गोंडों का राज्य था। जनजातीय समुदाय के 52 गढ़ हुआ करते थे। गिन्नौरगढ़ में निजाम शाह राज करते थे। उनकी पत्नी का नाम कमलापति था। रानी कमलापति जल प्रबंधन में निपुण और जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थी। उन्होंने कई बावड़ियां, पार्क, मंदिर, तालाब आदि बनवाए थे। रानी के बेटे नवल शाह ने 14 साल की उम्र में लालघाटी पर लड़ाई लड़ी, जिनके हारने पर रानी ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए छोटे तालाब में जल समाधि ले ली। लेकिन अपने जीते जी उन्होंने अपने राज्य पर बाहरी आक्रांताओं को कब्जा नहीं करने दिया।
Next Story