मध्य प्रदेश

भोपाल: मुख्यमंत्री के खिलाफ उनकी परिषद के मंत्रियों ने इस प्रकार का प्रदर्शन किया कि उसे रिकॉर्ड में भी दर्ज करना पड़ा

Shiddhant Shriwas
23 Nov 2022 8:29 AM GMT
भोपाल: मुख्यमंत्री के खिलाफ उनकी परिषद के मंत्रियों ने इस प्रकार का प्रदर्शन किया कि उसे रिकॉर्ड में भी दर्ज करना पड़ा
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मुख्यमंत्री के खिलाफ
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री के खिलाफ उनकी परिषद के मंत्रियों ने इस प्रकार का प्रदर्शन किया कि उसे रिकॉर्ड में भी दर्ज करना पड़ा। मुख्यमंत्री दिनभर इंतजार करते रहे लेकिन मंत्री नहीं आए। अंत में कैबिनेट मीटिंग को निरस्त करना पड़ा।
भारत की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। कैबिनेट मीटिंग की सूचना सभी मंत्रियों को दे दी गई थी। 18 नवंबर मीटिंग का एजेंडा भी मंत्रियों तक पहुंचा दिया गया था। सीएम सचिवालय से कहीं कोई चूक नहीं हुई लेकिन फिर भी 30 में से 23 मंत्री नहीं आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिनभर अपनी कैबिनेट के मंत्रियों का इंतजार करते रहे और अंत में कैबिनेट मीटिंग को निरस्त करना पड़ा।
जब कैबिनेट की मीटिंग में 30 में से 23 मंत्री अनुपस्थित हो तो हाथ पांव फूल जाना स्वाभाविक है। मीटिंग का टाइम सुबह 11:30 बजे फिक्स था। मंत्री नहीं आए तो समय बदला गया। 11:45, 12:00, 12:25 और अंत में 12:45 तय किया गया। यहां ध्यान देने वाली बात है कि यदि कोई मंत्री कैबिनेट मीटिंग में उपस्थित नहीं होता तो इसकी पूर्व सूचना भेजता है। मंगलवार 22 नवंबर के घटनाक्रम में मंत्रियों की तरफ से मुख्यमंत्री सचिवालय को सही अपडेट नहीं दिया जा रहा था। स्पष्ट होता है कि एक प्रदर्शन किया जा रहा था। ताकि ध्यान आकर्षित हो।
यदि मंगलवार 22 नवंबर के घटनाक्रम को शिवराज सिंह चौहान का फ्लोर टेस्ट मान लिया जाए तो केवल गोपाल भार्गव, कमल पटेल, अरविंद सिंह भदोरिया, यशोधरा राजे सिंधिया, सुश्री उषा ठाकुर, प्रेम सिंह पटेल और ओमप्रकाश सकलेचा, शिवराज सिंह चौहान के साथ हैं। यानी मंगलवार दिनांक 22 नवंबर 2022 की स्थिति में शिवराज सिंह चौहान को 30 में से सिर्फ 7 मंत्रियों का विश्वास प्राप्त था।
मध्यप्रदेश में अब तक कहा जाता था कि मंत्रियों और विधायकों की लाइव लोकेशन सीएम सचिवालय में रहती है। उनके आने वाले दिनों के कार्यक्रम भी सीएम सचिवालय को पता होते हैं। कैबिनेट मीटिंग के निरस्त होने के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि ज्यादातर मंत्रियों की ड्यूटी गुजरात चुनाव में लगी है। आश्चर्यजनक बात है कि मुख्यमंत्री को यह जानकारी नहीं है कि उनकी कितने मंत्रियों की ड्यूटी गुजरात चुनाव में लगी है। जब वह मीटिंग के लिए भोपाल आ ही नहीं सकते थे तो फिर मीटिंग की तारीख निर्धारित क्यों की गई। चलो हो भी गई थी तो फिर दिन भर में 4 बार समय क्यों बदला।
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