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बैग पॉलिसी तो बनी, लेकिन साल भर बाद भी स्कूलों में बैग तौलने की व्यवस्था नहीं
भोपाल न्यूज़: प्रदेश में स्कूल बैग नीति लागू किए साल भर का समय बीत चुका है. इस नीति के तहत स्कूली छात्रों का बैग उनके शरीर के वजन के 10 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके मुताबिक पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के स्कूली बस्ते 1.6 से 2.2 किलोग्राम, तीसरी से पांचवीं के लिए 1.7 से 2.5 किग्रा, छठी और सातवीं के लिए दो से तीन किग्रा, आठवीं के लिए ढाई से चार किग्रा और नौवीं और दसवीं के लिए ढाई से साढ़े चार किग्रा वजन तय है, लेकिन नीति के लागू होने के साल भर बाद भी स्कूलों में बस्तों का वजन तौलने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. कुछ स्कूलों में बच्चों का वजन चेक करने के लिए मशीन तो हैं, लेकिन इनपर कभी बस्तों का वजन चेक नहीं किया गया. स्कूल शिक्षा विभाग की टीम भी खाली हाथ ही बस्तों का वजन चेक कर रही है.
बच्चों के भारी बैग सहित अन्य निगरानी को लेकर कलेक्टरों को निर्देशित किया जाएगा. लेकिन अभिभावकों को भी समझना होगा. यदि माता- पिता जागरूक हो जाएंगे तो इस समस्या से जल्दी निदान मिल जाएगा.
द्रविन्द्र मोरे, अध्यक्ष, मप्र बाल आयोग
भोपाल. कक्षा एक से पांचवीं तक के स्कूलों में से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है. पहले दिन भोपाल डीपीसी को निरीक्षण के दौरान एक स्कूल में ताला लटका मिला, तो शिक्षकों के स्थान पर गांव की युवती पढ़ाती हुई मिली. भोपाल जिला परियोजना समन्वयक डा. आरके यादव ने फंदा ग्रामीण व बैरसिया ब्लाक के लांबाखेड़ा, ईंटखेड़ी, अरवलिया, बीनापुर , बरहाबल, भोजापूरा, नजीराबाद, नीमखेड़ी समेत एक दर्जन स्कूलों व दो छात्रावासों का औचक निरीक्षण किया.
नहीं लगा वजन का चार्ट
स्कूल बैग नीति के अनुसार प्रत्येक स्कूल को नोटिस बोर्ड एवं कक्षा में बस्ते के वजन का चार्ट प्रदर्शित करना है, लेकिन शहर के कई स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर बस्ते के वजन का चार्ट नहीं लगाया गया है. इसके बावजूद स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.
बस्तों का वजन एक अंदाज से चेक किया जाता है. मशीन से वजन चेक करना संभव भी नहीं है. स्कूलों में बच्चे चार्ट के अनुसार किताबें ले जाते हैं. किसी विषय की किताबें मोटी होती है, तो कुछ विषय की पतली किताब होती है.
अंजनी त्रिपाठी, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल