मध्य प्रदेश

सिकल सेल बीमारी को रोकथाम के लिए जागरूकता

Ritisha Jaiswal
18 Jun 2022 4:42 PM GMT
सिकल सेल बीमारी को रोकथाम के लिए जागरूकता
x
हर साल 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है

हर साल 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाना है। मध्य प्रदेश के जनजातिबहुल ग्रामों में पहुंचकर इस रोग के फैलाव को रोकने के बारे में बताने के लिए विज्ञान प्रसाकर सारिका घारू आगे आई हैं।

सारिका के मुताबिक एक सरकारी रिपोर्ट की मानें तो भारत में सबसे अधिक सिकल सेल से प्रभावित आबादी मध्य प्रदेश में है। 2007 में आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार यहां की एक करोड़ पचास लाख की जनजाति आबादी में से लगभग 10 से 33 प्रतिशत तक इस रोग की वाहक तथा लगभग 0.7 प्रतिशत रोगग्रस्त हैं। इस रोग के बच्चों को स्कूल में बस्ते का बोझ कम करने, उन्हें पानी पीने, टॉयलेट जाने, अधिक मेहनत का काम न करने के लिए शिक्षकों एवं पालकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। रोगी के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार तथा काम का स्थान न अधिक गर्म न अधिक ठंडा हो यह ध्यान रखना चाहिए
यह सामान्य एनिमिया नहीं है, जिसे आयरन देकर ठीक किया जा सके। यह जीवन भर चलने वाला जन्मजात रोग है। अतः इसका फैलाव रोकने के लिए विवाह के पूर्व सिकलसेल कुंडली मिलाना जरूरी है। सारिका ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 2008 को एक प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें सिकलसेल रोग को दुनिया की सबसे प्रमुख अनुवांशिक बीमारी में से एक के रूप में मान्यता दी। इसके बाद 19 जून 2009 से हर साल यह दिन विश्व सिकलसेल दिवस के रूप में मनाया जाता है


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

    Next Story