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भोपाल न्यूज़: असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुजीत पीवी की गाइडेंस में एक साल की रिसर्च के बाद 8 लोगों की टीम ने मिलकर यह डिवाइस तैयार की है. उन्होंने बताया कि इसी तरह की एक और बोट बनाई जाएगी. कूड़ा कलेक्शन के लिए बोट में आगे मोटराइज्ड फ्लेप्स लगाए हैं जो कूड़ा कलेक्ट करते जाएंगे और बोट के ऊपर लगी बकेट में ऑटोमेटिक आ जाएंगे.
अलग-अलग बिंदुओं पर स्टडी
इस डिवाइस की मदद से तालाबों का सोइल इरोजन फ्लोरा एंड फौना यानी तालाब के अंदर के एनवायरमेंट जैसे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्टडी कर रहे हैं. क्लिीनिंग के लिए प्रोजेक्ट डेवलमेंट स्टेज पर है. यह काम अगले तीन महीनों में पूरा हो जाएगा.
आइआइएसईआर की टीम ने करीब एक महीने पहले इसकी शुरुआत छोटे तालाब से की थी. यहां वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज वाले एरिया में यह काम शुरु हुआ. टीम मेंबर्स ने बताया कि इसका डेप्थ एनालिसिस हो चुका है. यह करीब 2.5 मीटर के के लगभग गहरा है. वहीं, पुलिस हेडक्वार्टर वाले एरिया में अन्य जगहों के मुकाबले सेडिमेंट्स ज्यादा है. यानी यहां बालू की मात्रा अधिक है. बाकी अन्य डेटा कलेक्शन और एनालिसिस का काम जारी है.
राजधानी के तालाबों की बाथीमेट्री मैपिंग और सफाई के लिए आइआइएसईआर यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च ने नई तकनीक ऑटोनोमस सर्फेस व्हीकल बोट तैयार की है. इस तकनीक से तालाबों का डेटा नए सिरे तैयार होगा और उनके सरंक्षण के लिए प्लान बनेगा. डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी ने आइआइएसइआर को यह जिम्मा दिया है.
भोपाल के तालाबों को लेकर इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. जल्द ही यह पूरा हो जाएगा. इसके बाद उसके सरंक्षण के लिए योजना तैयार करेंगे.
डॉ. सिवा उमापथी, डायरेक्टर,आइआइएसइआर