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मध्य प्रदेश
ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर खड़ा हुआ विवाद, हिंदू संगठन का दावा- मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद
Renuka Sahu
19 May 2022 3:15 AM GMT
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फाइल फोटो
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के बाद अब भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. संस्कृति बचाव मंच के संरक्षक चंद्रशेखर तिवारी का दावा है कि मंदिर तोड़कर जामा मस्जिद (Bhopal Taj Ul Masajid) बनाई गई है. उन्होंने सरकार से पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने की मांग की है. चंद्रशेखर तिवारी ने कहा है कि जिस प्रकार ज्ञानवापी में भगवान का शिवलिंग मिला है. नंदी पहले से विराजमान हैं. उसी प्रकार चौक क्षेत्र में स्थित जामा मस्जिद का काम भी भोपाल की 8वीं शासिका कुदेसिया बेगम ने 1832 ई. में शुरू करवाया था, मस्जिद 1857 में बनकर तैयार हुई. बेगम ने 'हयाते कुदसी' में इस बात का ज़िक्र किया है कि जामा मस्जिद का निर्माण हिन्दुओं के एक पुराने मंदिर को तोड़ कर कराया गया है.
संस्कृति बचाव मंच (Sanskrti Bachaav Manch) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से मांग की है कि सरकार पुरातत्व विभाग से जामा मस्जिद का सर्वे कराए. अगर यहां पर भी मंदिर है तो उसे हिंदू समाज को सौंपा जाए. तिवारी ने कहा कि मुस्लिम शासकों ने मंदिर तोड़कर जामा मस्जिद का निर्माण कराया है. तिवारी ने कहा कि संस्कृति बचाव मंच जमा मस्जिद का सर्वे कराने कोर्ट में याचिका भी दायर करेगा.
दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनाई गई थी ये मस्जिद
संस्कृति बचाओ मंच के सरंक्षक चंद्रशेखर तिवारी ने एक पुस्तक के कुछ अंश में भोपाल जामा मस्जिद के बारे में दी गई जानकारी का जिक्र करते हुए बताया है कि जामा मस्जिद चौक क्षेत्र में है जो सुंदर लाल रंग के पत्थरों से बनी है. इसका निर्माण कुदसिया बेगम ने 1832 में शुरू कराया था और 1857 में बनकर पूरी हुई. तब इसकी लागत पांच लाख रुपए आई थी. इसकी वास्तुकला दिल्ली की जामा मस्जिद के समान ही है जो चार बाग पद्धति पर आधारित है. नौ मीटर वर्गाकार ऊंची जगह पर निर्मित इस मस्जिद के चारों कोनों पर हुजरे बने हुए हैं.
इसमें तीन दिशाओं से प्रवेश द्वार है. अंदर एक विशाल आंगन है. पूर्वी और उत्तरी द्वार के मध्य हौज है. यहां का प्रार्थना स्थल अर्द्ध स्तंभ और स्वतंत्र स्तंभों पर आधारित है. स्तंभों की सरंचना इस तरह की है जो भवन स्वत दो समानांतर भागों में विभाजित हो जाता है. प्रार्थना स्थल के दोनों ओर पांच मंजिली विशाल गंगनचुंबी मीनारें हैं.
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