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एक गांव जहां अंतिम यात्राएं आज भी नाले से ही जाते है श्मशान तक, जानें पूरा मामला

Kunti Dhruw
15 Jan 2022 9:08 AM GMT
एक गांव जहां अंतिम यात्राएं आज भी नाले से ही जाते है श्मशान तक, जानें पूरा मामला
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देश की आजादी को भले ही 75 साल हो गए हैं ,

देश की आजादी को भले ही 75 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी कई गांव में सड़क नहीं है। मध्य प्रदेश के नीमच का एक गांव ऐसा ही है जहां सड़क नहीं होने से अंतिम यात्राएं तक नाले में से निकाली जाती हैं। फिर चाहे नाले में पानी भरा हो या सूखा पड़ा हो, अगर किसी की मृत्यु हो जाए तो बिना सड़क के इस रास्ते पर पुल या पुलिया नहीं है, अंतिम यात्रा श्मशान तक ले जाने का यही एकमात्र रास्ता है।

मध्यप्रदेश के नीमच जिले का बड़ोदिया बुजुर्ग गांव है जहां गांव के पास नाला है जिसे पार करने के लिए कोई पुल या पुलिया नहीं है। बच्चों को स्कूल जाना हो या किसी मरीज को अस्पताल ले जाना हो या फिर किसी की मृत्यु होने पर उसकी अंतिम यात्रा निकालना हो, सभी को इस नाले के बीच से पैदल ही जाना होता है। बारिश में तो मुश्किल होती ही है लेकिन जब नाले में थोड़ा बहुत पानी कहीं से आ जाए तो कीचड़ हो जाती है। ऐसे में इस नाले को पार करना मुश्किल होता है।
दशकों पुरानी समस्या
यह गांव मनासा विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां से भाजपा विधायक अनिरुद्ध मारू हैं। ग्राम बड़ोदिया बुजुर्ग के ग्रामीणों की यह समस्या दशकों पुरानी है। ग्रामीण अभी पिछले 15 वर्षों से जनप्रतिनिधियों और जिले के अधिकरियो को अवगत कराते आ रहे है। कुछ समय पहले गांव की एक महिला की मृत्यु हुई तो जब नाले में पानी भरा था और अंतिम यात्रा में शामिल लोगों के घुटने तक पानी में डूब गए थे। उस स्थिति में अंतिम यात्रा श्मशान घाट तक पहुंची थी। उस समय अंतिम यात्रा की वीडियो वायरल हुई तब लोगों को ग्रामीणों की इस समस्या का पता चला। अभी भी इस नाले में हाल की बारिश से पानी भर गया है और लोगों को परेशानी हो रही है।
बारिश में खेतों में अंतिम संस्कार व स्कूल नहीं जाते बच्चे
ग्रामीणों की मानें तो बारिश के दिनों में ज्यादा परेशानी होती है क्योंकि तब नाले में पानी ज्यादा होता है और बहाव भी तेज होता है। तब दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उन दिनों फिर गांव में कोई गमी होने पर खेतों में ही अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे डेढ़ किलोमीटर पर बसे गांव हरिपुरा में स्कूल भी नही जा पाते। ग्रामीण शंभूलाल गुर्जर की माने तो वे वर्षों से सभी से गुहार लगा रहे है मगर कोई सुनवाई नहीं होती। विधायक को भी इस समस्या के बारे में वे बता चुके हैं लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला है।
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