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900 मजदूरों के फॉर्म 32 साल पुरानी सैलरी स्लिप नहीं होने से अटके
इंदौर: हाई कोर्ट के सख्त आदेश के बाद हुकमचंद मिल के मजदूरों को 6 फरवरी से उनके हक का पैसा मिलना शुरू हो गया है।
5895 मजदूरों में से अब तक 997 मजदूरों के खाते में 3 से 5 लाख रुपए तक आ गए हैं, लेकिन करीब 900 अन्य मजदूरों के पैसे सिर्फ इसलिए अटक गए हैं, क्योंकि उनके पास करीब 32 साल पहले जब मिल बंद हुई थी, तब की हुकमचंद मिल की सैलरी स्लिप (वेतन प्रमाण पत्र) नहीं है। मिल बंद होने के बाद से अब तक 2200 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है। उनकी पत्नियों में से 200 के फॉर्म की जांच हुई है, लेकिन दस्तावेज पूरे नहीं होने के चलते 190 के फॉर्म फिलहाल होल्ड पर हैं। किसी के बच्चों के आधार कार्ड में पिता का नाम नहीं है तो कुछ के दस्तावेजों में कमी है।
अपने हक के पैसों के लिए हर दिन मिल परिसर में दर्जनों मजदूर पहुंच रहे हैं। कोर्ट द्वारा गठित कमेटी, ऑफिशियल लिक्विडेटर सहित अन्य लोग मजदूरों के फॉर्म की जांच कर रहे, ओके होने के बाद पैसे शिफ्ट किए जा रहे हैं। मजदूर समिति के नरेंद्र श्रीवंश और हरनाम सिंह धालीवाल का कहना है, पिछले 32 साल में कोर्ट के आदेश पर अब तक अलग-अलग समय पर चार बार सभी मजदूरों को कुछ-कुछ पैसा मिल चुका है।
पांचवीं बार में फुल एंड फाइनल पेमेंट हो चुका है। लिक्विडेटर की जांच के बाद भी पहले पैसे दिए गए हैं। अब वापस मजदूरों और उनके वारिसों से 32 साल पुरानी सैलरी स्लिप मांगी जा रही है, जो मिलना मुश्किल है।