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- 850 मीट्रिक टन पॉलीथिन...
भोपाल न्यूज़: अंतरराष्ट्रीय वन मेला में दुर्लभ जड़ी बूटियां मुहैया हैं. इसके लिए दर्जनों स्टॉल लगे हैं.बड़ी संख्या में लोग इन्हें लेने पहुंच रहे हैं. इस बीच यहां पर्यावरण से जुड़े नियम टूटते नजर आए. यहां कई स्टाल पर प्रतिबंधित पॉलीथिन का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा हैं. इसे जांचने या रोक लगाने कोई इंतजाम नजर नहीं आए. प्रदेश कई जिलों से आयुर्वेद का खजाना लेकर किसान और जड़ी बूटियों के जानकार मेले में शामिल हुए हैं. इसके लिए यहां करीब तीन सौ स्टाल लगे हैं. इन उत्पादों को प्रदर्शित करने के साथ ही ये बेचने के लिए भी रखे गए हैं. इन उत्पादों को रखने के लिए अधिकांश जगहों पर प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग होता नजर आया. शासन की रोक के बाद भी इसका असर मेले में नजर नहीं आया. इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि जांच की जिम्मेदारी नगर निगम की है. पीसीबी भी इस पर कार्रवाई करता है. यहां की जवाबदारी भी इन्हीं एजेंसियों के हाथ है. जड़ी बूटियों से लेकर दूसरे कई सामान में यहां अगर उपयोग हो रहा है तो ये विभाग ही कार्रवाई करेंगे.
शहर से रोजाना 850 मीट्रिक टन कचरा निकलता है. इसमें 30 मीट्रिक टन से अधिक कचरा प्लास्टिक का होता है. शहर में प्रतिदिन 20 से 25 मीट्रिक टन पालीथिन खपाई जा रही है. इन्हें पकड़ने और प्रतिबंध को कारगर बनाने में नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला लापरवाही दिखा रहा है. जबकि पुराने शहर में 50 से अधिक थोक विक्रेता है.
प्रदेश समेत देशभर में एक जुलाई 2022 से अमानक प्लास्टिक से बनी 19 प्रकार की वस्तुएं और 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाली पॉलीथिन पर रोक लगाई गई है. इसके बावजूद हाथ ठेला, सब्जी और किराना की दुकानें तथा हाट बाजारों में खुलकर इस्तेमाल हो रहा है. मुख्य कारण जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही बताई गई है. अमानक पालीथिन का उपयोग, खरीदी और विक्रय करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने से हर जगह इसका जमकर उपयोग किया जा रहा है. उपयोग से लेकर विक्रय तक प्रतिबंधित है.