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इंदौर न्यूज़: वर्ष 2015 से 2017 तक फर्जी रसीदों से 14 शराब ठेकेदार व उनके कर्मचारियों ने 42 करोड़ का आबकारी घोटाला किया. तत्कालीन सहायक आयुक्त सहित 6 अफसर सस्पेंड हुए. ठेकेदारों पर केस दर्ज हुआ, लेकिन फिर भी 22 करोड़ ही वसूल पाए. बाद में जांच हुई तो पता चला कि ठेकेदार-कर्मचारियों ने फर्जी रसीदों के आधार पर करीब 29 करोड़ की शराब विभाग से लेकर उसे बेच खाई. ऐसे यह घोटाला करीब 71 करोड़ का हो गया है. अब 50 करोड़ की वसूली के लिए 14 ठेकेदारों को लेकर फिर आरआरसी जारी की जाएगी.
विधानसभा में विधायक प्रदीप पटेल के सवाल पर मंत्री जगदीश देवड़ा ने जो जवाब दिया, उससे साफ है कि वर्ष 2015 से 2017 के बीच इंदौर में हुआ आबकारी घोटाला 70 करोड़ 97 लाख का हो गया है. तत्कालीन सहायक आयुक्त संजीव दुबे के कार्यकाल में यह घोटाला सामने आया. पता चला कि ठेकेदार व कर्मचारियों ने विभाग में फर्जी रसीदे जमा कर 3 साल में करीब 41 करोड़ 65 लाख का घोटाला किया. बैंक में 10 हजार रुपए जमा कर रसीद में हाथ से उसे 10 लाख बनाकर विभाग व ट्रेजरी में जमा कर दिया. तीन साल तक किसी ने चेक भी नहीं किया. पुलिस ने मामले में 14 ठेकेदार, उनके कर्मचारी राजू दशवंत व अंश आदि को गिरफ्तार किया था.
मंत्री ने विधानसभा मेें बताया, इस केस में 7 शराब ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है. यहीं नहीं, 6 अफसरों की कमेटी से जांच कराई तो पता चला कि फर्जी रसीदों के जरिए ठेकेदारों ने इस दौरान करीब 29 करोड़ 32 लाख की शराब विभाग से हासिल कर उसे बेच दिया.