मध्य प्रदेश

5 दिन में 40 लाख जमा, जो टैक्स जमा नहीं करते थे अब लगे हैं लाइन में

Admin4
17 Jun 2022 2:38 PM GMT
5 दिन में 40 लाख जमा, जो टैक्स जमा नहीं करते थे अब लगे हैं लाइन में
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5 दिन में 40 लाख जमा, जो टैक्स जमा नहीं करते थे अब लगे हैं लाइन में

बाकी किसी के अच्छे दिन आए हों या नहीं, जबलपुर नगर निगमके तो अच्छे दिन आ गए हैं. उसका खजाना भर गया है. नगर निगम चुनाव के कारण उसके खाते में लाखों रुपये आ गए हैं. चुनाव आयोग के एक नियम ने उन लोगों को कर दाताओं की कतार में खड़ा कर दिया है जो कभी टैक्स जमा ही नहीं करते थे. अब नामांकन पत्र भरने के लिए लगी होड़ में प्रत्याशी अपने बकाया कर जमा कर रहे हैं और निगम का खजाना भर रहे हैं.

तसल्ली कीजिए कि नगर निगम के चुनाव आ गए हैं. कम से कम नगर निगम जबलपुर के ज़िम्मेदार तो इस बात की तस्दीक कर सकते हैं. शहर के 79 वार्डो में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव के लिए पार्षद पद की दावेदारी ने निगम के खज़ाने को भर दिया है.

पांच दिन में 40 लाख

आंकड़ों के मुताबिक बीते पांच दिन में नगर निगम के प्रत्येक वॉर्ड से औसत 20 से 25 दावेदारों ने एनओसी ली है. इससे निगम को अतिरिक्त 40 लाख से अधिक की आमदनी हुई है. जबलपुर का नगर निगम टैक्स वसूली के मामले में हमेशा से पिछड़ा साबित हुआ है. साल दर साल टारगेट तो बढ़ जाता है लेकिन नगर निगम का खजाना नहीं बढ़ पाता. मध्यप्रदेश में नगरी निकाय चुनाव ने नगर निगम के भी अच्छे दिन ला दिए हैं. वह लोग भी अपना टैक्स जमा कर रहे हैं जिनसे टैक्स वसूली नगर निगम के अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होती थी.

काम आयी निर्वाचन आयोग की तरकीब

चुनाव मैदान में उतरने के लिए निर्वाचन आयोग ने नगर निगम की एनओसी अनिवार्य की है. उस प्रत्याशी को एनओसी नहीं मिलेगी जिसके ऊपर निगम का किसी भी तरह का बिल बकाया है. इसलिए प्रत्याशी अब खुद ब खुद नगर निगम में जाकर अपना संपत्ति कर, जल कर, डोर टू डोर टैक्स जैसे तमाम कर पूरी ईमानदारी के साथ जमा कर रहे हैं. नगर निगम के राजस्व अधिकारियों का कहना है पिछले तकरीबन 7 दिन में नगर निगम में 40 से 50 लाख रुपये बड़ी ही आसानी से जमा हो गए. जो लोग चुनाव मैदान में उतर रहे हैं वह सालों से लंबित अपना टैक्स जमा कर एनओसी हासिल कर रहे हैं.

चुनाव आयोग ने ईमानदार बना दिया

टैक्स जमा करना हर नागरिक का प्रथम कर्तव्य है. लेकिन इसके बावजूद लोग टैक्स जमा नहीं करते. नगर निगम को हर साल टैक्स वसूली में पसीने छूट जाते हैं. जो टैक्स जमा नहीं करते हैं वह अमूमन अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए निगम के अधिकारी खाली हाथ खड़े रहते हैं. चुनाव ने उन लोगों को भी टैक्स जमा करने के लिए मजबूर कर दिया है जो कभी ईमानदारी से अपना टैक्स नहीं देते.

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