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बड़ी खबर
सागर। गौरझामर थाना क्षेत्र के मढ़ी जमुनिया गांव के पिपरिया गांव में कुएं में मोटर निकालने के लिए उतरे तीन लोगों की मीथेन गैस के रिसाव से दम घुटने से तीन लोगों की मौत हो गई। खबर मिलते ही एसडीआएफ की टीम ने सागर से पिपरिया गांव पहुंची। जहां करीब तीन घंटे तक चलाए गए रेस्क्यू के बाद तीनों शवों का बाहर निकाला। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामला जांच में लिया है। जानकारी के मुताबिक पिपरिया गांव निवास खिलान लोधी की गांव से करीब एक किमी दूर खेती है। खेत पर ही कुआं बना है। गुरुवार को दोपहर 12 बजे 65 वर्षीय खिलान सिंह कुएं के अंदर मोटर निकालने के लिए नीचे उतरे। पिता कुएं में थे व उनका बेटा 25 वर्षीय नेतराम लोधी मुंढेर पर था। खिलान के नीचे उतरने पर कुछ देर बाद मीथेन गैस से बेहोश होने लगे।
यह देखते ही नेतराम घबरा गया। उसने पास में ही मकान का काम करने वाले सिमरिया गांव निवासी 25 वर्षीय सुनील पटेल को आवाज दी। पिता को कुआं के अंद बेहोश होता देख वे उन्हें बचाने के लिए नीचे उतर गए, लेकिन मीथेन गैस की वजह से वे भी बेहोश हो गए और कुएं में ही गिर गए। इसकी जानकारी जैसे गांववालों के लगी तो वे मौके पर पहुंचे, लेकिन कुआं 70 फीट गहरा व केवल छह फीट चौड़ा होने से कोई भी उन्हें निकालने में सफल नहीं हुआ। इसके बाद इसकी जानकारी गौरझामर पुलिस को दी। पुलिस ने तत्काल की एसडीआरएफ की टीम को सागर से बुलाया। एक घंटे के अंदर ही टीम ने पिपरिया गांव पहुंचकर तीनों लोगों के शवों के बाहर निकाल लिया।
मीथेन गैस की वजह से रेस्क्यू टीम भी रही खतरे में
एसडीआरएफ टीम की लीडर करन सिंह ने बताया कि कुआं बहुत संकरा था। कुएं की गहराई 70 फीट है। करीब तीस फीट नीचे से खिलान सिंह मोटर निकाल रहाथा। बचाव के लिए हमने जवान विनायक ठाकुर को कुएं के नीचे उतारा तो वह भी मीथेन गैस के असर से बेहोश होने लगा। उसे तत्काल बाहर निकाला। इसके बाद मास्क आदि पहनकर बचाव कार्य किया। एसडीआरएफ टीम में टीम लीडर करन सिंह, जवान विनायक ठाकुर, शिवम चौबे, देवेंद्र प्रताप, देवेंद्र तिवारी, सुखदेव, रामनरेश, भारत आदि शामिल थे। वहीं पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू की।
आक्सीजन कम होने से बनती है मीथेन गैस
एसडीआरएफ टीम के करन सिंह के मुताबिक कुएं के अंदर आक्सीजन की कमी के चलते मीथेन गैस बन जाती है। ऐसे में कुएं में किसी का भी उतरता प्राण घातक होता है। यदि किसी कुएं में गैस की आशंका दिखे तो उसमें जलता हुआ दीया डाल कर जांच की जा सकती है। यदि दीया बुझ जाए तो समझें की उसमें गैस निकल रही है। कुएं की गैस का प्रभाव कम करने के लिए उसमें पानी की फुहारे मारें। संभव हो तो आक्सीजन सिलिंडर के साथ ही कुएं में उतरे।
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