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भोपाल: खून बहने से रोकना और किडनी बचाना जरूरी थाअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में एक जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। दमोह निवासी युवक (35) कई दिनों से पेटदर्द से परेशान था। सोनोग्राफी कराने पर पता चला कि 25 सेंटीमीटर से बड़ी कैंसर की गांठ पेट में है। उसने एम्स भोपाल के कैंसर सर्जरी विभाग में दिखाया। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. विनय कुमार ने तुरंत सर्जरी के लिए एडमिट कर लिया। सीटी स्कैन और सीटी एंजियोग्राफी की जांच रिपोर्ट से पता चला कि मरीज के पेट में ट्यूमर है, जो किडनी और मोटी खून की नस से चिपका हुआ है। यह नस दिल को ब्लड की सीधे सप्लाई करती है।
ऐसी स्थिति में सर्जरी के दौरान किडनी और मोटी खून की नस के फटने का डर था। ब्लड ग्रुप रेयर होने की वजह से ब्लड बैंक में 3 से 4 ग्रुप बैकअप में रखे। सर्जरी टीम में सीनियर ओंको सर्जन डॉक्टर विनय कुमार, सीनियर कार्डियो थोरेसिक सर्जन डॉ. योगेश नेवारिआ व अन्य शामिल थे।
बैकअप तैयार रखा था
ब्लड लॉस बचाने की खातिर सर्जरी सीटीवीएस ओटी में की गई। नस फटने की आशंका के चलते खून बहने से रोकने के लिए मरीज को हार्ट लंग मशीन पर रखने के लिए बैकअप तैयार रखा गया था। ऑपरेशन को सफलतापूर्वक 3-4 घंटे में पूरा किया गया। बिना ब्लड लॉस के ट्यूमर को सफलता पूर्वक निकाला गया। मरीज की किडनी और खून की नस को भी फटने से बचाया गया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
खून की नस फटी तो ब्लड लॉस के बिना रिपेयर किया
कैंसर खून की मोटी नस के पास से 10 सेंटीमीटर की लंबाई में चिपका हुआ था, ऑपरेशन के बीच में मोटी खून की नस कहीं- कहीं फट गई थी जिसे बगैर ब्लड लॉस के सफलतापूर्वक रिपेयर किया गया।’ -डॉ. योगेश निवारिया, सीनियर सीटीवीएस सर्जन, एम्स भोपाल