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19 हजार मामले फाइलों में ही अटके, परिजन को अफसर टरका रहेइन तीन मामलों से समझें
भोपाल न्यूज़: प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के फेर में हजारों लोग महीनों-सालों चक्कर लगा रहे हैं. हालात ये हैं कि प्रदेश में अब भी 19 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं. इनमें उच्च शिक्षा सहित दूसरे विभागों में अनुकंपा नियुक्ति के लिए लोग गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कई जगह लालफीताशाही आड़े आ आ रही है. इसी कारण उच्च शिक्षा के ओएसडी संजय जैन की घूसखोरी के कथित ऑडियो प्रकरण जैसे हालात बनते हैं.
पहले से दागदार संजय
कथित ऑडियो वायरल होने के बाद ओएसडी संजय जैन निलंबित हुए हैं, लेकिन संजय पहले से दागदार हैं. इससे पहले भी संजय की लिखित शिकायत हुई थी. इस पर 10 जनवरी को तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी. इसमें भोपाल-नर्मदापुरम के उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा की निर्माण शाखा के ओएसडी डॉ. राकेश श्रीवास्तव और न्यायालयीन प्रकोष्ठ के ओएसडी डॉ. आलोक वर्मा थे. यह मामला फाइलों में हीउलझा रहा. संजय जैन उच्च शिक्षा विभाग में ओएसडी के रूप में कार्यरत हैं. वे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के ओएसडी नहीं हैं. विभाग की अराजपत्रित स्थापना शाखा के अनुकंपा के कामों को देख रहे थे. अब वे निलंबित हैं.
1. डेढ़ साल से परिजन परेशान
इंदौर. पटवारी पद पर नियुक्ति का मामला सीएलआर कार्यालय ग्वालियर में डेढ़ साल से अटका है. दरअसल, राजस्व विभाग में कम्प्यूटर ऑपरेटर पद पर कार्यरत कर्मचारी की मृत्यु हो गई थी. उनके स्थान पर पत्नी की नियुक्ति होनी है. ऑपरेटर पद पर नियुक्ति नहीं होने से मामला लंबित है. पटवारी पद पर नियुक्ति के लिए मामला सीएलआर कार्यालय ग्वालियर भेजा गया है. निर्णय कमिश्नर को करना है.
2. छह साल से टाल रहे
राजगढ़. स्वास्थ्य विभाग में लिपिक के पद पर पदस्थ रहीं कल्पना चौहान के निधन के बाद उनकी बेटी पिछले छह साल से अनुकंपा नियुक्ति के लिए परेशान हो रही हैं. पदों की कमी बताते हुए लगातार उन्हें टाला जा रहा है. मजे की बात ये कि उनके बाद पहुंच रहे आवेदन में लगातार आवेदकों को अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है. दोनों बेटियां अनुकंपा नियुक्ति नहीं होने पर परेशान हैं, लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा.
3. जिला पंचायत में अटक गई अर्जी
हरदा. जिले के टिमरनी ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत के सचिव का करीब 7 माह पहले निधन हो गया था. तभी से पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी जिला पंचायत में लंबित है. पति के निधन के बाद से ही महिला के पास परिवार के गुजर-बसर का दूसरा आर्थिक साधन नहीं है. ऐसे में उसे ज्यादा परेशानी हो रही है. अधिकारी देरी का न तो कोई कारण बता रहे हैं और न ही यह बता रहे हैं कि नियुक्ति का मामला कब तक निपटेगा.