केरल

एसडीपीआई नेता की हत्या मामले में SIT की बड़ी कार्रवाई, RSS के 2 और कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार

Kunti Dhruw
24 Dec 2021 3:29 PM GMT
एसडीपीआई नेता की हत्या मामले में SIT की बड़ी कार्रवाई, RSS के 2 और कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार
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एसडीपीआई नेता की हत्या मामला

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (Social Democratic Party of India) के प्रदेश सचिव केएस शान की हत्या के मामले में विशेष जांच दल (special investigation team) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान त्रिशूर जिले के चलाकुडी के बौद्धिक प्रमुख केटी सुरेश और एर्नाकुलम के अलुवा के एक अन्य कार्यकर्ता एम उमेश के रूप में हुई है.

एसआईटी ने कहा कि दोनों को आरोपियों को भागने में मदद करने और सबूत नष्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. एसडीपीआई नेता शान (38) और बीजेपी ओबीसी मोर्चा के नेता रंजीत श्रीनिवासन (44) की शनिवार को अलाप्पुझा में 10 किमी के दायरे में 12 घंटे के भीतर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने बाद में दावा किया कि दोनों जवाबी हत्याएं थीं.
सुनियोजित थीं दोनों हत्याएं- केरल पुलिस
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय साखरे ने कहा कि दोनों मामलों में गिरफ्तार किए गए लोगों में से कोई भी सीधे तौर पर हत्याओं में शामिल नहीं था, लेकिन उन्होंने हमलावरों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था. उन्होंने कहा कि दोनों सुनियोजित हत्याएं थीं. साथ ही कहा कि हमने उन सभी की पहचान कर ली है जो सीधे तौर पर अपराध में शामिल थे. हमारी टीमें उन्हें पड़ोसी राज्यों में ट्रैक कर रही हैं. बीजेपी नेता की हत्या के मामले में पांच और एसडीपीआई नेता की हत्या में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की
हत्याओं में सीधे तौर पर शामिल लोगों को गिरफ्तार करने में हुई देरी ने पुलिस को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की है, लेकिन पीएफआई ने कहा कि उसके कार्यकर्ताओं को परेशान किया गया और संघ परिवार के संगठनों को संतुष्ट करने के लिए पुलिस ने घरों पर छापा मारा. साथ ही कहा कि हम चल रही जांच से संतुष्ट नहीं हैं. अलाप्पुझा में सत्तारूढ़ माकपा और एसडीपीआई गहरे दोस्त हैं और वो एक दूसरे की मदद करते हैं. हम चाहते हैं कि पार्टी नेताओं की हालिया हत्याओं की केंद्रीय एजेंसी से जांच हो.
इस बीच पुलिस ने सोशल मीडिया यूजर्स के एक वर्ग पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो फर्जी खबरें और झूठी सूचना फैलाकर परेशानी पैदा कर रहे थे. दोहरे हत्याकांड के बाद कई संदेश और सांप्रदायिक अशांति भड़काने वाले पोस्ट सामने आए.
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