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Kerala केरल: केरल के कोझीकोड जिले में दिमाग खाने वाले अमीबा के कारण एक और मासूम की जान चली गई. दूषित पानी में रहने वाले अमीबा ने 13 साल की बच्ची जान ले ली. यह अमीबा दिमाग में संक्रमण पैदा कर देता है. मतलब दिमाग को खा जाता है. मृतक की पहचान कन्नूर के मूल निवासी रागेश बाबू और धन्या की बेटी दक्षिणा के रूप में हुई, जो कई दिनों से अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (Amoebic Meningoencephalitis) एक दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण से जूझ रही थी.
मृतक लड़की दक्षिणा मुन्नार की यात्रा पर गई थी. अपनी यात्रा के लगभग तीन महीने बाद, उसमें संक्रमण के लक्षण विकसित हुए. ऐसा माना जा रहा है कि मुन्नार के एक स्विमिंग पूल से अमीबिक संक्रमण हुआ, जहां उसने स्नान किया था. अमीबा के संपर्क में आने के पांच दिनों के भीतर लक्षणों के सामान्य तेजी से शुरू होने के विपरीत, दक्षिणा का मामला असामान्य था. उसमें लक्षण काफी देरी से दिखाई दिए. जनवरी में मुन्नार की अपनी यात्रा के बावजूद, उसके लक्षण 8 मई को दिखने शुरू हुए.
दक्षिणा को शुरू में सिर में तेज दर्द और उल्टी की वजह से कन्नूर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जब उसकी हालत बिगड़ती गई, तो उसे कोझिकोड के बेबी मेमोरियल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. जिसके बाद उसमें Cerebrospinal Fluid (CSF) से दुर्लभ बीमारी की पुष्टि हुई, जिससे उसके शरीर में वर्मामोएबा वर्मीफॉर्मिस नामक दुर्लभ अमीबा की मौजूदगी का पता चला. उल्लेखनीय रूप से, अमीबिक ट्रोफोज़ोइट्स का भी पता चला, जो राज्य में पिछली रिपोर्टों से उसके मामले को अलग करता है.
नेगलेरिया फाउलरी क्या है?
नेगलेरिया फाउलरी (Naegleria Fowleri) एक प्रकार का अमीबा है जो आमतौर पर गर्म मीठे पानी और नम मिट्टी में पाया जाता है. इसे गर्मी पसंद है, इसलिए यह गर्मियों के दौरान पानी में सबसे अधिक पाया जाता है. हालांकि, यह काफी कम तापमान पर मीठे पानी के निकायों के तल पर गाद में भी पाया जा सकता है.
नाक से करता है शरीर में प्रवेश
नेगलेरिया फाउलेरी व्यक्तियों को तब इन्फेक्टेड करता है जब यह नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. ये इन्फेक्शन आमतौर पर झीलों, नदियों जैसे मीठे पानी और खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल में स्विमिंग या गोता लगाने के दौरान हो सकता है.
नेगलेरिया फाउलरी लोगों को कैसे संक्रमित करता है
नेगलेरिया फाउलरी संक्रमण तब हो सकता है जब अमीबा युक्त पानी आपकी नाक में प्रवेश करता है. यह फिर नाक गुहा और मस्तिष्क में स्थानांतरित हो सकता है. एक बार जब शरीर के अंदर, अमीबा ब्रेन तक चला जाता है, तब ये दिमाग के टिश्यू को अटैक करता है. इससे दिमाग में सूजन हो जाती है. इस संक्रमण से Primary Amebic Meningoencephalitis (PAM) हो सकता है. पीएएम संक्रमण लगभग हमेशा घातक होता है क्योंकि यह मस्तिष्क के ऊतकों को जल्दी से नष्ट कर देता है.
प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लक्षण
PAM की शुरुआत सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी जैसे शुरुआती लक्षणों से होती है. जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, गंभीर लक्षण विकसित होते हैं, जिनमें सर दर्द, गर्दन में अकड़न, दौरे, हैलुसिनेशन और आखिर में कोमा शामिल हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, पीएएम वाले ज्यादा लोग लक्षण दिखने के 1 से 18 दिनों के भीतर बीमारी का शिकार हो जाते हैं. मौजूदा समय में, PAM का कोई निश्चित इलाज नहीं है. दवाई के ट्रीटमेंट से लक्षणों को कम किया जा सकता है.
दो महीने के भीतर दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण के कारण केरल में मृत्यु की यह दूसरी घटना है. इससे पहले मलप्पुरम की एक छोटी पांच वर्षीय बच्ची मई में कोझिकोड सरकारी मेडिकल कॉलेज HOSPITAL में इलाज के दौरान इसी बीमारी से मर गई.
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Sanjna Verma
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