रेपिस्ट पिता को 12 साल की सजा, बार-बार दुष्कर्म से बेटी हो गई गर्भवती
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केरल हाईकोर्ट (Kerala HighCourt) ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि किसी रेप के आरोपी को यह कहकर छोड़ा जा सकता कि पीड़िता का चरित्र खराब था या उसे सेक्स की आदत थी. खास तौर पर उसके पिता को. केरल हाई कर्ट ने एक पिता को अपनी बेटी के रेप के आरोप में दोषी ठहराते हुए ये बात कही. बताया जा रहा है कि लड़की के पिता ने उसका बार-बार रेप किया जिससे वह गर्भवती हो गई.
हाई कोर्ट ने कहा कि जब एक पिता अपनी बेटी के साथ बलात्कार करता है, तो यह एक गेमकीपर के शिकारी बनने या ट्रेजरी गार्ड के डाकू बनने से भी बदतर है. न्यायमूर्ति आर नारायण पिशारदी ने यह टिप्पणी तब की जब पीड़िता के पिता ने दावा किया कि उसे मामले में झूठा फंसाया जा रहा है क्योंकि उसकी बेटी ने स्वीकार किया है कि उसने किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाए थे. बेगुनाही के उनके दावों को खारिज करते हुए, हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यौन उत्पीड़न के परिणामस्वरूप मई 2013 में पैदा हुए बच्चे के डीएनए विश्लेषण से पता चलता है कि पीड़िता के पिता शिशु के जैविक पिता भी थे.
हाईकोर्ट ने कहा, "ऐसे मामले में भी जहां यह दिखाया जाता है कि पीड़िता का चरित्र खराब है या वह सेक्स की आदत वाली लड़की है, यह आरोपी को बलात्कार के आरोप से मुक्त करने का आधार नहीं हो सकता है." हाईकोर्ट ने आगे कहा कि पिता "पीड़ित लड़की को सुरक्षा और सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य था. लेकिन, उसने उसके साथ यौन उत्पीड़न और बलात्कार किया. पीड़िता को कितना सदमा लगा होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. इस घटना ने उसके मन में जो छाप छोड़ी है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वह आने वाले सालों में मानसिक पीड़ा और दर्द को महसूस कर सकती है."
हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को बलात्कार के लिए दोषी ठहराते हुए और उसे 12 साल की जेल की सजा सुनाते हुए, यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत उसे 14 साल के कारावास की सजा देने के निचली अदालत के फैसले को इस आधार पर रद्द कर दिया कि अभियोजन पक्ष जून 2012-जनवरी 2013 के बीच जब बलात्कार हुआ था तब पीड़िता को नाबालिग साबित करने में असमर्थ था.