केरल
नन रेप कांड में आरोपी बिशप के बरी होने पर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट के वकील, बोले- 'भ्रष्टाचार से इनकार नहीं'
Deepa Sahu
15 Jan 2022 10:46 AM GMT
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केरल की कोर्ट ने एक नन से तीन साल में 13 बार दुष्कर्म के आरोपी कैथोलिक बिशप फ्रेंको मुलक्कल (57) को शुक्रवार को बरी कर दिया।
केरल की कोर्ट ने एक नन से तीन साल में 13 बार दुष्कर्म के आरोपी कैथोलिक बिशप फ्रेंको मुलक्कल (57) को शुक्रवार को बरी कर दिया। फैसले के इंतजार में शुक्रवार सुबह से कोट्टायम जिला कोर्ट परिसद में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। सुबह 11 बजे अतिरिक्त जिला जज जी. गोपाकुमार ने कहा, बिशप फ्रेंको मुलक्कल को कोट्टायम कॉन्वेंट की नन की ओर से लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों का दोषी नहीं पाया गया। इतना सुनते ही कोर्ट में मौजूद लोग एक-दूसरे को देखते रह गए। किसी को भरोसा नहीं हुआ की बिशप को बरी कर दिया गया है।
विशेष जांच दल ने अप्रैल 2019 में 2,000 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हई। 105 दिन चली सुनवाई से 39 गवाहों से पूछताछ हुई। इसके बावजूद आरोपी बिशप बरी कर दिया गया। प्रारंभिक रिपोर्टों की मानें तो वैज्ञानिक सबूतों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया गया। फैसले के बाद पीड़िता की एक सहयोगी ने कहा कि ऐसा लगता है कि अमीर और रसूखदार लोग कुछ भी कर सकते हैं।
फैसले पर SC के वकील की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील देवेंद्र शर्मा ने कहा कि इस फैसले ने सबको झकझोर कर रख दिया है। अदालत ने किस आधार पर आरोपी को बरी किया है, इस पर न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार ही टिप्पणी होगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट यह दिखाने में विफल रहा है कि न्याय हो रहा है। इस मामले में लोगों को यह स्वीकार नहीं हो पा रहा कि अदालत ने न्याय किया है। फिलहाल यह मामला अपील में जाएगा और चीजें साफ हो पाएंगी।
'न्याय व्यवस्था के ऊपर सवाल खड़ा हुआ'
वकील शर्मा ने कहा, "न्यायालयों में भ्रष्टाचार है, यह बात चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तक कहते रहे हैं। इसमें तो कोई दोराय नहीं है। नन रेप मामले का आरोपी कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। वह काफी रसूखदार है। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोर्ट का फैसला निष्पक्ष न हो। हमारी पूरी न्यायिक प्रक्रिया अगर एक अपराधी को सजा नहीं दिला पा रही तो यह व्यवस्था के ऊपर प्रश्नचिन्ह है।"
फैसला अविश्वसनीय है: पुलिस अधीक्षक एस हरिशंकर
जांच की निगरानी कर रहे पुलिस अधीक्षक एस हरिशंकर ने फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला अविश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से अपील के लिए जाएंगे। पर्याप्त पुष्टिकारक और परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं। यह कहना गलत है कि पर्याप्त सबूत नहीं हैं। हम वाकई निराश हैं। हम अपील के लिए जाएंगे। वहीं, इस लड़ाई को लेकर नन का साथ देने पर निष्कासन झेल रहीं सिस्टर लूसी ने उम्मीद जताई कि आखिर में कानूनी लड़ाई में हम ही जीतेंगे।'बिशप के लिए जेल की उम्मीद थी लेकिन...'
सरकारी वकील जितेश जी बाबू ने कहा कि हमें अपदस्थ बिशप के लिए जेल की उम्मीद थी। नतीजा वाकई चौंकाने वाला है। इस घटना का नेतृत्व करने वाली सिस्टर अनुपमा ने कहा, "हम इसका मुकाबला करेंगे। हमें नहीं पता कि क्या हुआ। ट्रायल अच्छा चला। हमें नहीं पता कि आखिर में क्या हुआ।" वहीं, आंखों में आंसू लिए नन ने कहा कि हम अपने मुद्दे को कायम रखने के लिए मरने को भी तैयार हैं।
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