जनता से रिश्ता वेबडेस्क | फिल्म द केरल स्टोरी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुदिप्तो सेन के निर्देशन में बनी द केरल स्टोरी को लेकर शरद पवार की पार्टी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने फिल्म के निर्माता को फांसी देने की बात कही है। द केरल स्टोरी विवादों के बीच 5 मई को रिलीज हुई थी, फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही बवाल शुरू हो गया था। रिलीज के पहले ही मूवी को बैन करने की मांग उठने लगी तो कई जगहों पर फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग उठने लगी। अब एनसीपी से विधायक जितेंद्र आव्हाड का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। उन्होंने फिल्म को केरल राज्य को बदनाम करने वाला बताया है।
एनसीपी विधायक ने कहा
एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि ‘केरल फाइल के नाम पर एक राज्य को बदनाम किया गया और वहां की महिलाओं को भी बदनाम किया गया को भी बदनाम किया गया। आधिकारिक आंकड़ा जो सामने आ रहा है वह 3 का है। तीन को 32000 के रूप में पेश किया गया। इस फिल्म का निर्माता कोई भी हो, उसे सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए।’
जितेंद्र आव्हाड ने अपना आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट किया कि केरल के नाम पर रिलीज हुई फिल्म नकलीपन की पराकाष्ठा है। केरल में वास्तविक स्थिति अलग है। विदेशों से भारत में जो पैसा आता है उसका 36 प्रतिशत केरल के लोग भेजते हैं। पिछले साल उन्होंने 2.36 लाख करोड़ रुपये भेजे थे।
केरल की साक्षरता दर 96 प्रतिशत है। जो भारत का 76 प्रतिशत है। केरल में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग 0.76 प्रतिशत हैं। यह देश में 22 प्रतिशत है। केरल में शिशु मृत्यु दर 6 प्रतिशत है। असम में 42 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 46 फीसदी है। केरल की प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।
एनसीपी नेता ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि उस फिल्म में 32 हजार महिलाओं की कहानी के बारे में खुद फिल्म के निर्माता का कहना है कि कहानी सिर्फ 3 महिलाओं की है। फिल्म को चलाने के लिए 32 हजार महिलाओं से कहा गया था। दूसरे शब्दों में, क्या होगा यदि आप अपनी महिला बहनों को बदनाम करना चाहते हैं?
यह दिखाने के लिए कि हमारी महिला बहनें मूर्ख हैं और ऐसे काम करती हैं जैसे वे कुछ भी नहीं समझती हैं और अंतत: पुरुष प्रधान संस्कृति में महिलाओं को अधीनस्थ के रूप में चित्रित करती हैं। ये है केरल पर आधारित फिल्म की असली सच्चाई। ऐसी फिल्में झूठ के आधार पर हिंसा, नफरत पैदा करने और उसी के दम पर चुनाव जीतने के हिसाब से बनाई जाती हैं।