
दो आरोपियों- तमिलनाडु के पोलाची निवासी संतोष कुमार ए उर्फ राजा और कर्नाटक के श्रृंगेरी निवासी एचएस रवींद्र उर्फ मनोजगे को पांच दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में लिया गया है। संतोष को पिछले साल तमिलनाडु से केरल आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था, जबकि रवींद्र ने इस साल जनवरी में कर्नाटक के चिकमगलूर में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। सूत्रों ने बताया, "जांच के दौरान वायनाड हमले में उनकी संलिप्तता के सबूत मिले। कोच्चि में एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को पांच दिनों की हिरासत में दे दिया। बाद में उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।" एनआईए के अनुसार, संतोष और रवींद्र दोनों ही वायनाड में सक्रिय पीएलजीए की स्थानीय गुरिल्ला इकाई कबानी दलम के वरिष्ठ सदस्य हैं। वे कथित तौर पर सरकारी संस्थानों को अस्थिर करने के उद्देश्य से चरमपंथी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में शामिल थे। एजेंसी ने कहा कि केएफडीसी कार्यालय पर हमला एक व्यापक राष्ट्र-विरोधी रणनीति का हिस्सा था। एनआईए ने केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में माओवादी समूहों के संचालन के बारे में भी दोनों से पूछताछ की। दोनों के खिलाफ जल्द ही पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने की उम्मीद है। पिछले महीने, एनआईए ने तीन अन्य लोगों- सी पी मोइदीन, मनोज पी एम और पी के सोमन के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जो सभी वायनाड के निवासी हैं। 28 सितंबर, 2023 को, पांच सदस्यीय सशस्त्र समूह ने केएफडीसी कार्यालय पर धावा बोला, प्रबंधक को बंधक बनाया और लोहे की छड़ों से फर्नीचर और उपकरणों को तोड़ दिया। बाद में उन्होंने माओवादी नारे लगाए और साइट पर पोस्टर चिपकाए। मामले के सभी आरोपियों को विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया है।