केरल

मंदिर में मुस्लिमों की एंट्री बैन, कन्नूर जिले में विशु त्योहार के दौरान लगाया गया बोर्ड

Deepa Sahu
19 April 2022 3:48 PM GMT
मंदिर में मुस्लिमों की एंट्री बैन, कन्नूर जिले में विशु त्योहार के दौरान लगाया गया बोर्ड
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केरल में एक मंदिर ने मुस्लिमों की एंट्री बैन कर दी,

केरल में एक मंदिर ने मुस्लिमों की एंट्री बैन कर दी, जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। कन्नूर जिले के कुंहिमंगलम में मल्लियोडू पलोट्‌टू कावू मंदिर के बाहर बोर्ड लगाया गया, जिसमें लिखा गया कि फेस्टिवल के समय मंदिर प्रांगण में मुस्लिमों को घुसने नहीं दिया जाएगा। इसके बाद इस मुद्दे पर कंट्रोवर्सी शुरू हो गई।

मंदिर में 14 से 19 अप्रैल के बीच विशु त्योहार के दौरान यह बोर्ड लगाया गया। यह पहली बार नहीं था कि इस त्योहार के दौरान मंदिर के बाहर ऐसा बोर्ड लगाया गया हो। पिछले साल भी मंदिर के बाहर ऐसा बोर्ड लगाया गया था।
कम्युनिस्ट पार्टी ने की निंदा
कन्नूर जिले के CPI(M) के जिला सेक्रेटरी एमवी जयाराजन ने कहा कि मंदिर के बाहर ऐसा बोर्ड लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और अच्छा होगा अगर इस बोर्ड को हटा दिया जाए।
डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मंदिर में मुस्लिमों के घुसने पर रोक लगाने पर विरोध दर्ज कराया है। संस्था का कहना है कि कुंहिमंगलम जैसी जगह अपने भाईचारे और संस्कृति के लिए जानी जाती है। ऐसी जगह पर ऐसा बोर्ड लगाना धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए एक चुनौती है। अपनी फेसबुक पोस्ट में संस्था ने कहा कि पिछले साल इतने विरोध प्रदर्शन होने के बाद भी प्रशासन ने वही काम किया है, यह शर्मनाक है।
प्रथाएं बताती हैं भाईचारे की कहानी
मंदिर में विराजे भगवान का नाम अथियेदम पालोट्‌टू है। मान्यता है कि उन्हें मंदिर में चेम्मारन पनिकर नाम का एक व्यक्ति लेकर आया था। मंदिर के भगवान को विष्णु का पहला अवतार माना जाता है।
केरल के उत्तरी मालाबार क्षेत्र में थेय्यम प्रस्तुतियां होती हैं। थेय्यम में नृत्य संस्कार होते हैं, जिसमें नृत्य करने वाला व्यक्ति थेय्यम कहलाता है और उसे ईश्वर से बात करने का जरिया माना जाता है। कन्नूर के लोकसाहित्य के जानकार कन्नन वाईवी ने बताया कि पुराने समय में थेय्यम लोगों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था कि वे किसी खास समुदाय से बात नहीं कर सकते हैं। मंदिर में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने जैसे डेवलपमेंट पिछले 50 साल में ही हुए होंगे।उत्तरी केरल में थेय्यम लोग समाज में सभी से बात करते थे और कोई उनके लिए अनजान नहीं था। थेय्यम जब मंदिर से बाहर आते थे तो पेड़ों के नीचे बैठे सभी लोगों को 'कुरी' यानी प्रसाद के तौर पर हल्दी दिया करते थे। इन लोगों में मुस्लिम भी शामिल होते थे।
थेय्यम लोग मुस्लिमों को मप्पिलावेदम के बारे में भी बताते थे। मप्पिलावेदम के तहत केरल में इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों का जिक्र होता है। कन्नन ने बताया कि बाद में बाड़ा हटा दिया गया और उसकी जगह पर बड़ी इमारतें बना दी गईं।
लोगों के रिश्तों पर नहीं पड़ा कोई फर्क
हालांकि इस बोर्ड को लगाने के बाद भी कुंहिमंगलम के लोगों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले वीके अनिलकुमार ने बताया कि 17 अप्रैल को जब वे मंदिर गए तो उन्होंने देखा कि लोग बोर्ड के पास बैठे थे। थेय्यम मंदिरों में अलग-अलग जाति और समुदायों के लोग आकर जुटते हैं, वहां धर्म के आधार पर लोगों को नहीं बांटा जाता है। थेय्यम लोग कभी मुस्लिमों को अपने से अलग करके नहीं देखते हैं।
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