केरल
सीएम विजयन ने किया दावा: केरल में घटे महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध, यूडीएफ ने दावे को झूठा बताया
Deepa Sahu
28 Oct 2021 6:40 PM GMT
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केरल में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध क्या सचमुच में घट गए हैं?
केरल में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध क्या सचमुच में घट गए हैं? मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में यह दावा किया तो कांग्रेस नीत विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने उसे झूठा बता दिया। केरल विधानसभा में शून्यकाल के दौरान विजयन ने कहा कि केरल में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और संबंधित अपराधों की घटनाएं घट रही हैं। उनकी सरकार का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहां किसी भी महिला का उत्पीड़न न हो। वहीं यूडीएफ नेताओं ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुष्कर्म की ताजा घटनाओं को लेकर विजयन सरकार को घेरा।
विजयन ने आंकड़ों देते हुए कहा कि 2016 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 15,114 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में यह संख्या घटकर 12,659 हो गई। 2017 में 2,003 से 2020 में दुष्कर्म के मामलों की संख्या घटकर 1,880 हो गई है। उन्होंने कहा कि 2020 में केवल 3,890 हमले के मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 4,413 मामले दर्ज किए गए।
उन्होंने कहा कि दहेज से संबंधित उत्पीड़न के बाद होने वाली मौतों की संख्या 2020 में घटकर सिर्फ छह रह गई, जो 2017 में 12 थी। विजयन ने कहा, 'तथ्य यह है कि वर्ष 2016 और 2021 के बीच यौन उत्पीड़न और संबंधित अपराधों की संख्या में कमी दिखाई दे रही है। राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आती हो रही है। लेकिन, सरकार इससे संतुष्ट नहीं है। हमारा उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां किसी भी महिला को परेशान न किया जाए।' इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए।
सीएम विजयन ने कांग्रेस विधायक रोजी एम जान द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी सवाल उठाया, जिन्होंने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था कि महिलाओं के खिलाफ हमलों के मामले में दक्षिणी राज्य की स्थिति उत्तर भारत से भी बदतर हो रही। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन महीनों में केरल में सामूहिक दुष्कर्म की तीन घटनाएं हुईं और पुलिस और गृह विभाग महिलाओं के खिलाफ हमलों की जांच करने में विफल रहे। कुट्टियाडी में एक नाबालिग अजा लड़की सहित राज्य भर में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य अपराधों के हालिया मामलों को जोड़ते हुए कहा, वे सदन में इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे। स्पीकर एम बी राजेश ने मुख्यमंत्री विजयन के जवाब के बाद विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया। इससे नाराज विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया।
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