केरल

यूसीसी 'एक राष्ट्र, एक संस्कृति' के बहुसंख्यकवादी एजेंडे को लागू करने की भाजपा की साजिश: सीएम पिनाराई विजयन

Admin Delhi 1
1 July 2023 4:32 AM GMT
यूसीसी एक राष्ट्र, एक संस्कृति के बहुसंख्यकवादी एजेंडे को लागू करने की भाजपा की साजिश: सीएम पिनाराई विजयन
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केरल न्यूज: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर भाजपा की अचानक चर्चा को देश की सांस्कृतिक विविधता को खत्म करके 'एक राष्ट्र, एक संस्कृति' के अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को लागू करने की साजिश बताया और कहा कि उसे अपना रुख वापस लेना होगा। यहां जारी एक बयान में विजयन ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर अचानक में चर्चा लाने का प्रयास अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की राजनीतिक चाल है।

विजयन ने कहा, “जिन लोगों को संदेह है कि इस समय इस पर चर्चा का उद्देश्य बहुसंख्यक प्रभुत्व को लागू करके देश की बहुलता को कमजोर करना है, उन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता। इसे केवल हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को खत्म करके 'एक राष्ट्र, एक संस्कृति' के उनके बहुसंख्यकवादी एजेंडे को लागू करने की साजिश के रूप में देखा जा सकता है।” उन्होंने आगे बताया कि यूसीसी लागू करने के बजाय विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों में मौजूद भेदभावपूर्ण प्रथाओं के आधुनिकीकरण और संशोधन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

विजयन ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे प्रयासों को उन विभिन्न धर्मों के अनुयायियों का समर्थन प्राप्त हो। यह जरूरी है कि ऐसे प्रयास चर्चा के आधार पर सामने आएं, जिसमें सभी संबंधित पक्ष शामिल हों। विभिन्न धर्मों में सुधार आंदोलन उनके भीतर से ही उत्पन्न हुए हैं। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे जल्दबाजी में लिए गए कार्यकारी निर्णय से हल किया जा सके।'' “2018 में पिछले विधि आयोग ने राय दी थी कि 'इस स्तर पर समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है। इसलिए, नए कदम के समर्थकों को पहले उन परिस्थितियों को स्पष्ट करना चाहिए, जिनके कारण उस रुख से अचानक विचलन की जरूरत महसूूस हुई है।“

उन्‍होंने कहा, "भारत अपनी विविधता से प्रतिष्ठित है, जो मतभेदों और असहमतियों को गले लगाता है, न कि एकरूपता जो उन्हें दबाती है। जो किया जाना है, वह किसी गुप्त उद्देश्य के साथ एकरूपता थोपने के बजाय समय के अनुरूप विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को संशोधित करना है।" विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार और विधि आयोग को देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के अपने प्रयासों से पीछे हट जाना चाहिए।

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