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केरल Kerala: केरल के त्रिशूर में लगभग 310 सूअरों को मार दिया गया है। ऐसा अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) के प्रकोप के कारण किया गया है। इस प्रकोप का पता मदक्कथरन पंचायत में चला, जिसके बाद राज्य के पशुपालन विभाग ने तुरंत कार्रवाई की। यह देश में एएसएफ से निपटने के क्रम में नवीनतम घटना है। सबसे पहले यह बीमारी मई 2020 में असम और अरुणाचल प्रदेश में सामने आई थी। तबसे यह बीमारी देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुकी है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 5 जुलाई को इस क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में सूअरों को मारने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दलों को तैनात किया गया था। मंत्रालय ने कहा, 'कार्य योजना के अनुसार प्रभावित क्षेत्र के 10 Kilometer के दायरे में आगे की निगरानी की जानी है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एएसएफ मनुष्यों में नहीं फैल सकता.' हालांकि, एएसएफ के लिए टीके की कमी पशु रोगों के प्रबंधन में चुनौतियों को रेखांकित करती है।
6 जुलाई को मनाया गया विश्व जूनोसिस दिवस
साल 2020 में तैयार की गई एएसएफ के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, प्रकोपों के लिए रोकथाम रणनीतियों और प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल की रूपरेखा तैयार करती है। देश में केरल में एएसएफ के नए प्रकोप के बीच केंद्र सरकार ने 6 जुलाई को एक संवादात्मक सत्र के साथ विश्व जूनोसिस दिवस मनाया। दरअसल, 6 जुलाई 1885 को लुई पाश्चर द्वारा पहली सफल रेबीज वैक्सीन तैयार करने की स्मृति में मनाया जाता है, जो पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच के मामूली भेद की स्पष्ट याद दिलाता है।
पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली zoonosis diseases में रेबीज और इन्फ्लूएंजा जैसे परिचित खतरे शामिल हैं तो साथ ही कोविड-19 जैसी हालिया चिंताएं भी शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा कि जूनोटिक और गैर-जूनोटिक रोगों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। पशुओं से होने वाले कई रोग, जैसे खुरपका और मुंहपका रोग या गांठदार त्वचा रोग, मनुष्यों को संक्रमित नहीं कर सकते।
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Sanjna Verma
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