ब्लैक फंगस की वजह से पत्नी की मौत, अंतिम संस्कार के लिए छोड़ा 20,000 रुपये कैश
कर्नाटक (Karnataka) के बेलगावी जिले (Belagavi District) से एक दिल दहला देने वाली सनसनीखेज वारदात सामने आई है, जिसको जिस किसी ने भी सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए. बेलगावी के हुक्केरी तालुक में एक 46 साल के रिटायर्ड सैन्यकर्मी (Army Personnel) ने कथित तौर पर अपने चार बच्चों की हत्या कर दी. इतना ही नहीं, बच्चों की हत्या के बाद सैन्यकर्मी ने खुद को भी मौत के घाट उतार दिया. पुलिस ने जानकारी देते हुए रविवार को बताया कि इस घटना से कुछ घंटे पहले शुक्रवार की रात को पूर्व सैनिक ने अपनी मृत पत्नी का जन्मदिन मनाया था.
पुलिस के मुताबिक, इसी साल छह जुलाई को ब्लैक फंगस की वजह से पत्नी की मौत हो गई थी, जिसके बाद से सैन्यकर्मी डिप्रेशन में था. पुलिस ने बताया, शुक्रवार देर रात को सैनिक ने 19, 16 और 11 साल की तीन बेटियों और एक 8 साल के बेटे के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने यह भी कहा कि पत्नी का जन्मदिन सेलिब्रेट करने के बाद शख्स ने अपने बच्चों को पानी में जहर मिलाकर दे दिया और बाद में खुद भी उसका सेवन करके आत्महत्या कर ली.
अंतिम संस्कार के लिए छोड़ा 20,000 रुपये कैश
घर की तालाशी के दौरान पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ, जिसमें शख्स ने इस मौत का जिम्मेदार खुद को ठहराया है. सैन्यकर्मी ने नोट में यह भी लिखा कि वह अंतिम संस्कार के लिए 20,000 रुपये कैश छोड़कर जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल किया जाए. बता दें कि राज्य में कोरोना संक्रमण से डिप्रेशन के चलते अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें शनिवार को सामने आई पांच मौतें भी शामिल हैं. ये मौतें कोरोना संक्रमण का डर, अपनों को खोने का गम, कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक नुकसान की चिंता के कारण हुई हैं.
कोरोना से डिप्रेशन के चलते मौत के कई मामले आए सामने
कर्नाटक में कोरोना से डिप्रेशन के चलते मौत के 11 मामलों के साथ उडुपी जिला सबसे ऊपर हैं. जबकि बेंगलुरु 9 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है. सैन्यकर्मी के चचेरे भाई ने पुलिस को बताया, 'मैंने शुक्रवार रात करीब 9 बजे उनसे बात की थी. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैंने रात का खाना खा लिया है. इतना ही नहीं उन्होंने सोने से पहले मुझे गुडनाइट भी कहा. हालांकि इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं.' एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया, 'वह (सैन्यकर्मी) और उनके बच्चे अक्सर हमसे कहते थे कि वे पत्नी के बिना नहीं रह सकते हैं.'