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टिकाऊ पद्धति से खेती
कर्नाटक की एक महिला किसान टिकाऊ पद्धति से खेती कर बड़ा बदलाव ला रही हैं. इस विधि से खेती ने उनको गरीबी से बाहर निकाला है. इस विधि से खेती में मिली सफलता के बाद वे इलाके के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. सरकार की योजनाओं और कृषि तकनीकों के बारे में वे सैकड़ों किसानों को सलाह देती हैं. उनके काम से प्रभावित होकर सरकार ने कई अवॉर्ड भी दिए हैं.
अनिता एम एक जनजातीय महिला हैं. वे कर्नाटक के बेटमपड्डी गांव में रहती हैं. उनका जीवन गरीबी में गुजरा है. उनके पास चार एकड़ से अधिक जमीन थी और इसी से परिवार का गुजर-बसर हो रहा था. आम तौर पर वे अपने खेतों में नारियल, सुपारी, काली मिर्च, धान और सब्जियों की खेती करती थीं.
टिकाऊ पद्धति से खेती करने पर सुधरा जीवन स्तर
इसके साथ ही पशुपालन भी करती थीं. उनके पास गाय, बकरी के अलावा मुर्गियां भी थीं. जनजातीय इलाके में इसी तरह से खेती करने का रिवाज है. लेकिन समस्या यह थी की इतनी फसलों की खेती और पशुपालन के बाद भी अनिता की कमाई बहुत कम थी. जानकारी के आभाव में वे कृषि संसाधनों का सही से इस्तेमाल नहीं कर रही थीं. इसी बीच उन्हें टिकाऊ कृषि पद्धति के बारे में पता चला.
ये ऐसी पद्धति है जो कृषि संसाधनों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देती है. इस विधि से खेती करने पर लागत कम हो जाती है और जैविक खेती को बढ़ावा मिलती है. इस पद्धति को बढ़ाने में ग्रामीण स्वयंसेवी संस्था के अलावा दक्षिण कन्नड के कृषि विज्ञान केंद्र ने भी मदद की है.
जानकारी मिलने के बाद अनिता इस पद्धति के बारे में ज्यादा से ज्यादा सीखने लगीं और उनके दिन बदलने लगे. आज वे एक गैर सरकारी संस्था की सक्रिय सदस्य हैं और जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं.
टिकाऊ विधि से खेती कर अनिता इलाके में किसानों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. भारत और कर्नाटक सरकार की तमाम योजनाओं से वो जुड़ी हुई हैं और इनके बारे में किसानों को भी बताने का काम करती हैं.
बढ़ता जा रहा है कमाई का दायरा
वे फिलहाल 400 किसानों को सलाह देने का काम कर रही हैं और अपने साथ के 80 किसानों के साथ मिलकर एक स्वयं सहायता समूह का निर्माण भी कर चुकी हैं. यह समूह जरूरतमंद किसानों की आर्थिक सहायता करता है.
अनिता ने वर्षा जल संरक्षण, कृषि मशीनीकरण, मृदा जांच पर आधारित कृषि, चारा उत्पादन, बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, पलवार और टपक सिंचाई तकनीक को अपनाया है. इस तरह की कृषि प्रणालि को अपना कर अनिता ने पशुपालन से 3 लाख रुपए, सब्जियों से दो लाख 60 हजार रुपए, धान से 45 हजार रुपए, वर्मी कम्पोस्ट से 1 लाख रुपए और गाय के गोबर से 50 हजार रुपए की कमाई कर चुकी हैं.
टिकाऊ पद्धति से खेती करने और किसानों को शिक्षित करने वाली अनिता को जिला स्तर के कई पुरस्कार मिल चुके हैं.
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Gulabi
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