कर्नाटक

छात्रा कर रहीं हिजाब पहनने की मांग, कर्नाटक शिक्षा मंत्री, बोले- 'हिजाब पहनना अनुशासनहीनता है'

Kunti Dhruw
20 Jan 2022 10:12 AM GMT
छात्रा कर रहीं हिजाब पहनने की मांग, कर्नाटक शिक्षा मंत्री, बोले- हिजाब पहनना अनुशासनहीनता है
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कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी कालेज में हिजाब पहनने को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है।

बेंगलुरु, कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी कालेज में हिजाब पहनने को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। चंद मुस्लिम छात्राएं पिछले तीन सप्‍ताह से कालेज में हिजाब पहनने की मांग को लेकर संघर्ष कर रही हैं। ये गतिरोध गुरुवार की सुबह तब बढ़ गया जब उन्होंने कॉलेज के गेट पर तख्तियों के साथ विरोध किया।

छात्रों ने कहा कि उन्हें हिजाब पहनने से रोकना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, और यह कि वे लोग मेल लेक्‍चररर के सामने बैठने पर असहज महसूस करती हैं। छात्राआलिया ने एनडीटीवी को बताया हम हिजाब पहनकर कॉलेज आए थे लेकिन हमें एक बार फिर कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया है।वहीं छात्रा मुस्कान ज़ैनब ने कहा, "हमें हिजाब पहनने के लिए 20 दिनों के लिए रोक दिया गया है। हम न्याय चाहते हैं। छात्रा रेशम ने कहा संविधान हमें हिजाब पहनने का अधिकार देता है, कॉलेज इसे क्यों रोक रहा है? ताजा विरोध कॉलेज के अधिकारियों और जिला अधिकारियों द्वारा छात्रों को एक अल्टीमेटम देने के एक दिन बाद आया है!जिसमें कहा गया ड्रेस कोड के अनुरूप है और यहां शिक्षा प्राप्त करें और लौटते समय इसे पहन कर जाए।
शिक्षा मंत्री ने दिया ये बयान
वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ऐसा बयान दे दिया जिसके कारण नया बवाल खड़ा हो गया है। उन्‍होंने कहा यह प्रथा "अनुशासनहीनता" है और स्कूल और कॉलेज "धर्म का पालन करने की जगह नहीं हैं। इसके बाद विरोध प्रदर्शन और बढ़ गया।
मंत्री ने लगाया ये आरोप
हालांकि नागेश ने कुछ लोगों पर भी आरोप लगाया कि पीएफआई से जुड़े कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के छात्रों का समर्थन करने से सबंधित है। 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है और यह जानना चाहा कि छात्र अभी ही संवैधानिक अधिकारों की प्रक्टिस क्यों करना चाहते हैं।1985 से ड्रेस कोड के संबंध में नियम लागू थे
हालांकि इस आरोप पर छात्रों ने आज सीएफआई से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया।आलिया ने कहा हम कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया से प्रभावित नहीं हैं। हम उनका हिस्सा नहीं हैं। चूंकि हमें पॉजिटिव रिसपांस मिला, कोई समर्थन नहीं मिला, इसलिए हमने सीएफआई से संपर्क किया। इससे पहले नागेश ने बताया कि 1985 से ड्रेस कोड के संबंध में नियम लागू थे और ये विरोध केवल 15-20 दिन पहले ही हुआ था।
स्कूल धर्म का पालन करने की जगह नहीं है
मंत्री ने दावा किया कि उस विशेष कॉलेज में नामांकित 100 से अधिक मुस्लिम छात्रों को कोई समस्या नहीं थी और केवल ये छात्र (ड्रेस कोड) का पालन नहीं करना चाहती। स्कूल धर्म का पालन करने की जगह नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या शिक्षा विभाग को लड़कियों के अपने धर्म का पालन करने के अधिकार का उल्लंघन करना चाहिए, और यदि हिजाब, या स्कार्फ पहनने से किसी दिशा-निर्देश का उल्लंघन होता है? इसके जवाब में नागेश ने कांग्रेस की ओर इशारा किया। मंत्री ने कहा जब कांग्रेस की सरकार थी उन्होंने नियम का पालन किया। लेकिन अब उन्हें एक समस्या है? वे अब संवैधानिक अधिकारों का अभ्यास करना चाहते हैं? अनुशासनहीनता एक अधिकार नहीं हो सकता।
पुरुष लेक्चरर के सामने हम आराम से नहीं बैठ सकते
प्रदर्शनकारी छात्रों ने बताया कि उनके माता-पिता ने बार-बार कॉलेज के अधिकारियों से उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्‍होंने कहा हम आराम से नहीं बैठ सकते... इसलिए हमने हिजाब पहन रखा है। यह एक सरकारी कॉलेज है लेकिन हमारे पुरुष लेक्चरर हैं। अगर महिला लेक्चरर हैं, तो हमें बैठने में कोई आपत्ति नहीं है। हिजाब के बिना लेकिन हमारे पास पुरुष लेक्चरर हैं। हम सहज नहीं हैं। आलिया ने एनडीटीवी को बताया कि उनके वरिष्ठों को कक्षाओं के दौरान हिजाब पहनने की अनुमति दी गई थी, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें "मानसिक रूप से प्रताड़ित" किया गया था।
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