बेंगलूरु. जयनगर में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री व साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि आनन्द साधन से नहीं साधना से प्राप्त होता है। आंनद भीतर का विषय है, तृप्ति आत्मा का विषय है। साध्वी भव्यगुणाश्री ने कहा कि मन को तो कितना भी मिल जाए, यह अपूर्णता का बार- बार अनुभव कराता रहेगा। उन्होंने कहा कि जो अपने भीतर तृप्त हो गया उसे बाहर के अभाव कभी परेशान नहीं करते। साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि दुख और परिश्रम मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता,और परिश्रम के बिना मनुष्य का विकास नहीं होता। निकेश भंडारी ने बताया कि साध्वी सोमवार तक जयनगर विराजित रहेंगे। विहार सेवा में नरेंद्र कुमार भंडारी, सुरेंद्र कुमार भंडारी, वंशराज बोहर, महेंद्र सेठ, दीपक भंडारी, रंजीत भंडारी, सिद्धार्थ भंडारी, कमला बाई भंडारी, जयंती बाई भंडारी,आरती,कोमल आदि ने लाभ लिया।