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मैसूर: राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने सोमवार को मैसूर शहर में 10 दिन तक चलने वाले दशहरा महोत्सव की शुरुआत की. कर्नाटक में "नदा हब्बा" (राजकीय उत्सव) के रूप में मनाए जाने वाले महोत्सव के दौरान राज्य की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के दर्शाया जाएगा.
उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा:
कोविड-19 महामारी के कारण बीते दो वर्ष से यह महोत्सव सादगी से मनाया जा रहा था, लेकिन महामारी का प्रकोप कम होने के परिणामस्वरूप इस बार यह उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. राष्ट्रपति ने यहां चामुंडी पहाड़ी पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर के परिसर में मैसूर राजघराने की देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति पर पुष्प वर्षा करके "वृश्चिक लग्न" के दौरान उत्सव का उद्घाटन किया. इस दौरान वैदिक मंत्रों का पाठ किया गया.
मुर्मू मैसूर दशहरा में हिस्सा लेने वाली पहली राष्ट्रपति हैं. इस अवसपर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और शोभा करंदलाजे व राज्य मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी उपस्थित थे.
राष्ट्रपति के रूप में किसी राज्य की उनकी पहली यात्रा भी:
राष्ट्रपति चामुंडेश्वरी मंदिर भी गयीं और उद्घाटन से पहले देवी की पूजा अर्चना की, जिन्हें "नदा देवी" कहा जाता है. यह भारत के राष्ट्रपति के रूप में किसी राज्य की उनकी पहली यात्रा भी है.
मुर्मू ने देवी की पूजा और राज्य के नागरिकों को बधाई देने के बाद कन्नड़ में अपना भाषण शुरू करते हुए कहा कि इस तरह के त्योहार भारतीय समाज को एक बंधन में बांधते हैं और विविधता में एकता का उदाहरण देते हैं. उन्होंने कहा कि मैसूर दशहरा एक ऐसा त्योहार है जो भारत की समृद्ध संस्कृति के गौरव का वर्णन करता है.
न्यूज़ क्रेडिट : firstindianews

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