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हुबली (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपने करीबी संबंधों का बखान करने वाले केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को पार्टी के गढ़ माने जाने वाले उत्तर कर्नाटक में भाजपा की हार से मायूसी हाथ लगी है। कित्तूर कर्नाटक सहित अपने क्षेत्र में भाजपा की भारी हार और उसके निकट सहयोगियों के हारने के साथ, क्षेत्र में भाजपा मामलों के अधिकार के रूप में जोशी की पावर को बड़ा झटका लगा है।
कर्नाटक चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 10 मई को होने वाले चुनाव से दो दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने जोशी पर यह कहते हुए हमला किया था राज्य की लोकसभा में 28 सीटों में से 25 सीटों पर जीतने के बाद भी वह कर्नाटक से एकमात्र केंद्रीय कैबिनेट मंत्री थे।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक से अन्य केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे (वोक्कालिगा), ए. नारायणस्वामी (दलित), भगवंत खुबा (लिंगायत) और स्वर्गीय सुरेश अंगड़ी (लिंगायत), सभी समाज के निचले तबके से राज्य मंत्री बनाए गए जबकि एकल कैबिनेट मंत्री का पद ऊंची जाति में चला गया था।
आने वाले दिनों में जोशी पर तलवारें खिंची जायेंगी क्योंकि आरएसएस से होने के कारण संतोष को संघ का समर्थन प्राप्त होगा और इसलिए जोशी को आलोचनाओं का सामना खुद ही करना पड़ेगा।
सोशल वैज्ञनिक आर.जे पुजारा ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि प्रह्लाद जोशी को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने की उनकी मनमानी और महत्वाकांक्षा की खबरें पहले ही आ चुकी हैं, जिसके कारण भाजपा चुनाव हार गई है। जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सुवादी जैसे नेताओं को पार्टी से बाहर करना, कर्नाटक में शक्तिशाली लिंगायत समुदाय के साथ ठीक नहीं हुआ है, जिससे भाजपा की हार हुई है।
--आईएएनएस
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