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बेंगलुरु (आईएएनएस)। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विपक्षी दलों के नेताओं को अपने पाले में करने के लिए आक्रामक तरीके अपनाने के बीच जद (एस) सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने कहा की कि उन्होंने पार्टी को बचाने का संकल्प लिया है।
देवेगौड़ा ने पत्रकारों से बात करते हुए घोषणा की कि कोई भी विधायक जद (एस) नहीं छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि जद (एस) नेताओं के कथित तौर पर कांग्रेस में शामिल होने की खबर महज अफवाह है।
उन्होंने बताया कि 10 सितंबर को बैठक होगी और सभी जिलों के पार्टी नेता और कार्यकर्ता इसमें हिस्सा लेंगे. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं सभी कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता हूं कि 91 साल की उम्र में मुझे न छोड़ें।''
पार्टी द्वारा प्रस्तावित विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में उन्होंने कहा, ''हमें विपक्षी दलों से नफरत नहीं है। मैं पार्टी के हित में कार्यक्रम आयोजित करना चाहता हूं। हम पार्टी को संगठित करेंगे और बचाएंगे। मैं भी पार्टी के काम में सक्रिय रूप से हिस्सा लूंगा। मैंने राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और भाजपा से प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए पार्टी की पहचान बनाए रखने का संकल्प लिया है।''
देवेगौड़ा ने कहा, “मैं जानता हूं कि देश की राजनीति कैसे काम करती है। कोर कमेटी के सदस्य राज्य का दौरा करेंगे। कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद से मैं घटनाक्रम पर नजर रख रहा हूं। किसी को भी पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी (उनके बेटे) को हल्के में नहीं लेना चाहिये।''
इस बीच, कांग्रेस "ऑपरेशन हस्त" की योजना पर जोर-शोर से आगे बढ़ रही है, जिसके जरिए वह जद (एस) के नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। वर्तमान में पार्टी के 19 विधायक और एक सांसद हैं। कांग्रेस उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को विधानसभा चुनाव में पार्टी के चेहरे के रूप में आगे करके दक्षिण कर्नाटक में प्रभावशाली वोक्कालिगा वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही।
वोक्कालिगा वोट बैंक जद (एस) की मुख्य ताकत है और वोक्कालिगा देवेगौड़ा के पीछे लामबंद थे। शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के वैकल्पिक नेता के रूप में उभरने में सफल रहे। सूत्रों ने बताया कि वोक्कालिगा वोट बैंक के लिए कुमारस्वामी और शिवकुमार के बीच सीधी लड़ाई है।
अगर जद (एस) नेता कांग्रेस में शामिल होते हैं तो इससे शिवकुमार के हाथ मजबूत होंगे। सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार ने देवेगौड़ा परिवार को कमजोर करने के लिए जद (एस) से छह से अधिक विधायकों को खींचने की योजना बनाई है।
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