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बेंगलुरु, (आईएएनएस)| कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ड्रग्स (दवाओं) निर्यात करने के आरोप में गिरफ्तार केरल के एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी, यह मानते हुए कि ड्रग्स का देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। न्यायमूर्ति राजेंद्र बादामीकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा- ड्रग कार्टेल युवा पीढ़ी को निशाना बनाते हैं और पूरे समाज पर बुरा असर डालते हैं। नशीली दवाओं के व्यापार में अवैध निवेश किया जाता है और इसे कानून के खिलाफ किया जाता है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
आरोपी, केरल के मलप्पुरम का ताहा उमर है जो एक मेडिकल दुकान का मालिक था और उसने एक कर्मचारी के आधार कार्ड का कथित रूप से दुरुपयोग किया था, नकली मरीज और डॉक्टर के नुस्खे बनाए और कथित तौर पर विदेशों में दवाएं भेजीं। उमर ने अजमल नानाथ वलियात के नाम से सऊदी अरब में जैनुल आबिद मन परम्बन के पते पर एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित टैबलेट 'क्लोनाजेपम' भेजा था। बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारियों ने इसका पता लगाया और 357 ग्राम वजन की गोलियां जब्त कीं। उमर को इसी साल 25 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।
अभियुक्तों के वकील ने जोर देकर कहा कि जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि एनडीपीएस अधिनियम के तहत मानक आदेश में पांच ग्राम मादक पदार्थ का संग्रह आवश्यक है। चूंकि, अधिकारियों ने केवल 4.2 ग्राम एकत्र किया है और मानक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया है, आरोपी जमानत पाने के योग्य है।
हालांकि, अदालत ने पाया कि कम राशि के बावजूद अधिकारियों ने जब्त किए गए पदार्थ के परीक्षण से इनकार नहीं किया। वकील ने यह भी दावा किया कि उमर निर्दोष है और वह वह व्यक्ति नहीं है जो निर्यात गतिविधि में शामिल था और वह केवल चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करता था। उमर ने उच्च न्यायालय का रुख किया था क्योंकि निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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