
x
Bengaluru बेंगलुरु: राज्य की राजनीति में एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ गई है। राज्यसभा सांसद लहर सिंह के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य मंत्री प्रियंक खड़गे ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि लहर सिंह पिछले डेढ़ दशक से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन आज तक उनका कोई ठोस योगदान सामने नहीं आया है। प्रियंक खड़गे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मुझे बताइए, उनका एक भी योगदान क्या है? वे राज्य में करीब पंद्रह साल से हैं, लेकिन क्या आप दिखा सकते हैं कि उनके किसी हस्तक्षेप के कारण कोई नीति बनी, या किसी फंडिंग से कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा हुआ? कुछ भी नहीं...”। खड़गे के इस बयान ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, क्योंकि हाल के दिनों में लहर सिंह ने राज्य सरकार की नीतियों पर कई सवाल उठाए थे।
राज्यसभा सांसद लहर सिंह ने कुछ दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार पर विकास कार्यों में सुस्ती और वित्तीय प्रबंधन में कमी का आरोप लगाया था। इसके जवाब में प्रियंक खड़गे ने कहा कि विपक्ष केवल बयानबाज़ी कर रहा है, जबकि सरकार जमीनी स्तर पर विकास कार्यों को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कई नेता केवल आलोचना में व्यस्त हैं, लेकिन उनके अपने कार्यकाल में राज्य के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई। प्रियंक खड़गे ने आगे कहा, “सरकार की आलोचना करना आसान है, लेकिन योगदान देना मुश्किल। जो लोग जनता के बीच नहीं जाते, उनके बयान अब लोगों को प्रभावित नहीं करते।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार कर्नाटक में शिक्षा, स्वास्थ्य, और आईटी सेक्टर में ठोस सुधार कर रही है, जिसका असर आने वाले वर्षों में दिखेगा।
इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने प्रियंक खड़गे पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के मंत्री विपक्ष की रचनात्मक आलोचना को सहन नहीं कर पा रहे। भाजपा ने कहा कि लहर सिंह ने कर्नाटक में निवेश और उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिनमें उन्होंने उद्योगपतियों और एनआरआई समुदाय से संवाद स्थापित किया था। राज्य की सियासत में यह बयानबाज़ी ऐसे समय में हो रही है जब कर्नाटक में अगले वर्ष स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, और दोनों प्रमुख दल जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ती दूरियों और आगामी राजनीतिक समीकरणों की ओर संकेत करता है। इस पूरे विवाद के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज़ हैं कि क्या यह केवल बयानबाज़ी की जंग है या आने वाले चुनावों के लिए रणनीतिक positioning। फिलहाल इतना तय है कि प्रियंक खड़गे के इस बयान ने कर्नाटक की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
Tagsप्रियंक खड़गेलहर सिंहकर्नाटक राजनीतिकांग्रेसबीजेपीबेंगलुरुराज्यसभा सांसदबयानों की जंगराजनीतिक विवादविकास नीतिजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारहिंन्दी समाचारजनताJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperjantasamachar newssamacharHindi news
Next Story





