कर्नाटक

कर्नाटक से 270 टन प्याज लेकर बंगाल पहुंची किसान रेल

Shiddhant Shriwas
24 Oct 2021 1:04 PM GMT
कर्नाटक से 270 टन प्याज लेकर बंगाल पहुंची किसान रेल
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कर्नाटक के चित्रदुर्ग से प्याज की इस खेप को लेकर रवाना हुई किसान रेल सुरक्षित और तय समय पर अपने गंतव्त न्यू जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) तक पहुंच गई.

भारतीय रेल ने देश के किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए 'किसान रेल' का संचालन शुरू किया था. ये रेलसेवा न सिर्फ किसानों के विकास में बल्कि देश के विकास में भी अपना पूरा योगदान दे रही है. देश के किसी भी कोने में बैठा किसान अब किसान रेल की मदद से देश के किसी भी अन्य हिस्से में अपना माल आसानी से पहुंचा सकता है. भारतीय रेल द्वारा चलाई जाने वाली किसान रेल, देश के किसानों को काफी सस्ती, सुरक्षित और तेज सेवाएं दे रही हैं. किसान रेल की सबसे खास बात ये है कि ये विशेष रेलसेवा सिर्फ किसानों को ही नहीं बल्कि देश के प्रत्येक आम आदमी के साथ-साथ खुद रेलवे के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है.

कर्नाटक से 270 टन प्याज लेकर बंगाल पहुंची किसान रेल
इसी सिलसिले में दक्षिण पश्चिम रेलवे के मैसूर डिवीजन ने किसान रेल की मदद से 270 टन प्याज को ट्रांसपोर्ट किया. कर्नाटक के चित्रदुर्ग से प्याज की इस खेप को लेकर रवाना हुई किसान रेल सुरक्षित और तय समय पर अपने गंतव्त न्यू जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) तक पहुंच गई. बताते चलें कि भारतीय रेल, किसान रेल में मालगाड़ी के साधारण डिब्बे की जगह पर यात्री डिब्बों का इस्तेमाल कर रही है. किसान रेल का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है, लिहाजा इस रेलसेवा के जरिए किसानों को माल ढुलाई पर 50 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाती है.
किसान रेल की मुख्य विशेषताएं
• उत्पादन अथवा अतिरिक्त उत्पादन वाले क्षेत्रों से उपभोग या कमी वाले क्षेत्रों में फल, सब्जियां, मांस, पोल्ट्री, मत्स्य और डेयरी उत्पादों सहित खराब होने वाली वस्तुओं की आवाजाही को सक्षम बनाती है.
• आवाजाही का शीघ्र संचालन न्यूनतम क्षति को सुनिश्चित करता है.
• दूर, बड़े और अधिक आकर्षक बाजारों तक पहुंच बनाने के लिए किसानों को विशाल रेलवे नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम बनाती है.
• फलों और सब्जियों के परिवहन के लिए माल ढुलाई में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है ('ऑपरेशन ग्रीन्स – टॉप टू टोटल' योजना के तहत इसे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा वहन किया जा रहा है).
• कम उपज वाले छोटे किसानों को भी बिना किसी बिचौलिए की सहायता से अपने माल के परिवहन में मदद करने के लिए बहु सामाग्री, बहु प्रेषक, बहु प्रेषिती, बहु ठहराव, समयबद्ध-सारणी आधारित ट्रेनों की अवधारणा के आधार पर संचालित करना.
• बुक की जा सकने वाली मात्रा की कोई न्यूनतम सीमा नहीं, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी बड़े और दूर के बाजारों तक पहुंच बनाई जा सकें.
• परिवहन समय और लागत में कमी के कारण अंतिम उपभोक्ताओं (बड़े शहरों और खपत केंद्रों पर) को सस्ते दामों पर ताजा उत्पाद मिलता है.
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