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बेंगलुरू, (आईएएनएस)| बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त प्रताप रेड्डी ने गुरुवार को कहा कि चूंकि बेंगलुरू से सामने आए सनसनीखेज तेजाब हमले के मामले में अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील आगे नहीं आ रहा है, इसलिए यह अभियोजन पक्ष के लिए एक तकनीकी बाधा साबित हो रहा है। मीडिया से बात करते हुए, रेड्डी ने कहा कि कानून के अनुसार, यदि अभियुक्त का प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है और उसके लिए वकालत दायर नहीं की जाती है, तो मामला आगे नहीं बढ़ेगा और इसलिए उसे जमानत नहीं मिलेगी।
इस तकनीकी बाधा के कारण एसिड अटैक का मामला ठप है।
पुलिस आयुक्त ने कहा, अगर एक वकील आरोपी का प्रतिनिधित्व करता है, तो अदालती कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ेगी और आरोपी को सजा मिलेगी।
यह घटना 28 अप्रैल, 2022 को हुई थी। आरोपी नागेश, जो पीड़िता के कार्यस्थल के पास एक ऑटोरिक्शा में इंतजार कर रहा था, ने उसका पीछा किया और उस पर तेजाब डाल दिया, जिससे लड़की 35 प्रतिशत जल गई।
पुलिस ने कहा कि आरोपी एसएसएलसी (कक्षा 10) में पीड़िता के साथ एक ही स्कूल में पढ़ता था। प्यार का प्रपोजल ठुकराने के बाद उसने उस पर हमला कर दिया।
कर्नाटक पुलिस ने अगस्त 2022 में मामले के सिलसिले में अदालत में 770 पन्नों की चार्जशीट पेश की थी।
पीड़िता 23 वर्षीय कामकाजी महिला महीनों से अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी।
पुलिस ने 13वें एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट को सौंपे गए चार्जशीट में 92 गवाहों को नामजद किया है। जांच पुलिस अधिकारियों ने आईपीसी की धारा 164 के तहत लिए गए दो चश्मदीद गवाहों के बयान भी प्रस्तुत किए हैं।
तेजाब हमलावर को पकड़ने के लिए कर्नाटक पुलिस ने 10 विशेष टीमों का गठन किया था, क्योंकि उसकी गिरफ्तारी में देरी के लिए हर तरफ से दबाव बढ़ रहा था। आखिरकार 16 दिनों के बाद कामाक्षीपाल्या पुलिस ने उसे तिरुवन्नामला शहर से गिरफ्तार किया।
आरोपी नागेश लापता हो गया और धार्मिक संत का भेष बनाकर पुलिस से बचने में सफल रहा।
पुलिस भक्तों के रूप में आरोपी के 'आश्रम' में गई और कड़ी निगरानी के बाद उसके बारे में सुराग हासिल करने में कामयाब रही और आखिरकार उसे दबोच लिया। पकड़े जाने के बाद जब उसने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उसके पैर में गोली मार दी थी।
--आईएएनएस
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