बेंगलुरु: शहर के एक वकील ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान (103वें) संशोधन अधिनियम, 2019 को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की।
याचिकाकर्ता, गिरीश भारद्वाज ने तर्क दिया कि इस आरक्षण को लागू न करने से योग्य ईडब्ल्यूएस मेधावी छात्र और व्यक्ति शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों में अवसरों से वंचित हो रहे हैं।
आरक्षण उन्हें छात्रवृत्ति, ऋण और अन्य लाभों सहित सरकार से महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता के लिए पात्र बना देगा।
उन्होंने कहा कि आरक्षण से ऐसे व्यक्तियों और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। प्रत्येक दिन की देरी आर्थिक रूप से वंचित छात्रों और सरकारी सेवाओं में भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे इच्छुक उम्मीदवारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। ईडब्ल्यूएस मेधावी उम्मीदवारों के लाभ के लिए इसे राज्य में अक्षरश: लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने अनुरोध किया कि उनके 14 जनवरी 2024 के प्रत्यावेदन पर विचार कर आरक्षण लागू करने का निर्देश जारी किया जाये।
मुख्य न्यायाधीश पीएस दिनेश कुमार और न्यायमूर्ति टीजी शिवशंकर गौड़ा की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया।