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सकाल योजना के तहत अर्जियां देने के बाद निपटारे में देरी का सामना करने वाले लोग अब एक बटन दबा कर मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं
बेंगलूरु. सकाल योजना के तहत अर्जियां देने के बाद निपटारे में देरी का सामना करने वाले लोग अब एक बटन दबा कर मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के शुरू होने के करीब एक दशक बाद राज्य सरकार ने यह प्रावधान किया है। नागरिक कानून में परिकल्पित मुआवजे की मांग कर सकते हैं।
सकाल (नागरिकों को सेवाओं की गारंटी अधिनियम) एक निर्धारित अवधि के भीतर सेवाओं के वितरण का वादा करता है। अधिनियम के तहत प्रत्येक नामित अधिकारी जो निर्धारित समय के भीतर सेवाएं देने में विफल रहता है, उसे प्रति दिन 20 रुपए और अधिकतम 500 रुपए तक की प्रतिपूरक लागत का भुगतान करना होगा।
सकाल योजना की अपर मिशन निदेशक बी. आर. ममता ने बताया कि अब नागरिकों को यह कहते हुए एसएमएस अलर्ट भेजेंगे कि उनकी सेवा में देरी हो रही है और वे मुआवजे का दावा कर सकते हैं। यदि वे लिंक पर क्लिक करते हैं और अपना आधार विवरण दर्ज करते हैं, तो मुआवजा उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में जमा किया जाएगा। सेवा में देरी के दिनों की संख्या के आधार पर लागत तय होगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (ई-गवर्नेंस) राजीव चावला ने बताया कि 10 वर्षों में नागरिकों को मुआवजे के रूप में 3.39 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। यह सिर्फ 33,900 रुपए प्रति वर्ष है। अधिकांश नागरिकों में जागरूकता की कमी है कि उन्हें यह मुआवजा मिल सकता है। प्रवर्तन भी ढीली थी क्योंकि संबंधित अधिकारी को ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान करना पड़ता था और नागरिकों को इसके लिए इधर-उधर भागना पड़ता था।
2,564 अधिकारी लोगों को मुआवजे का भुगतान कर रहे थे। लेकिन, अब इसके लिए 99 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो भुगतान को अधिकृत करेंगे। यदि ये नोडल अधिकारी सात दिनों से अधिक समय तक भुगतान में देरी करते हैं, तो कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारी के वेतन से कटेगी राशि
ममता ने कहा कि नोडल अधिकारी नागरिक को सरकार के खजाने से भुगतान करेगा। संबंधित अधिकारी के वेतन से पैसा काटा जाएगा। अधिकारियों को जवाबदेह बनाना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि ई-गवर्नेंस के प्रमुख व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के निर्देश पर अधिकारी अस्वीकृत हुए सभी आवेदनों में से 10 फीसदी की जांच करेंगे। गलत तरीके से खारिज किए गए मामलों को फिर से खोला जाएगा। सकाल के लहत फिलहाल 1,115 सेवाएं उपलब्ध हैं।
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