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Karnataka कर्नाटक : आदिवासी और लोक कलाओं के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए पहली बार 7 दिसंबर को बेंगलुरु में कला यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन इंफोसिस फाउंडेशन और भारतीय विद्या भवन द्वारा मिलकर किया जा रहा है।
भारतीय विद्या भवन के निदेशक एच एन सुरेश ने पीटीआई से कहा, "हम भारतीय विद्या भवन में करीब 25 वर्षों से इसे छोटे स्तर पर आयोजित कर रहे हैं। लेकिन इस साल हमने इसे एक बड़े महोत्सव में बदलने का फैसला किया है। अब से हम इसे हर साल आयोजित करेंगे।"
आईएसबी के व्यापक प्रमाणन कार्यक्रम के साथ अपने आईटी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट करियर को बदलें आज ही जुड़ें उनके अनुसार, वे कर्नाटक जनपद परिषद, कर्नाटक जनपद अकादमी और कर्नाटक चित्रकला परिषद के अनुसंधान केंद्र के साथ भी सहयोग कर रहे हैं। सुरेश ने कहा कि इतिहासकार और कलाकार महोत्सव के दौरान एक साथ आएंगे और लोक और आदिवासी कला रूपों के लिए आगे के रास्ते पर चर्चा करेंगे।
कार्यक्रमों की रूपरेखा सुरेश ने बताया कि इस उत्सव का उद्घाटन कर्नाटक जनपद परिषद के अध्यक्ष एच सी बोरलिंगैया करेंगे। सुबह के सत्र में कला इतिहासकार चूड़ामणि नंदगोपाल, धत्तू कठपुतली थियेटर की निदेशक अनुपमा होसकेरे, कर्नाटक चित्रकला परिषद संग्रहालय की क्यूरेटर विजयश्री सी एस, द्रविड़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम एन वेंकटेश, कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की प्रिंसिपल गोमती गौड़ा और कर्नाटक नाटक अकादमी के सदस्य रवींद्र सिरिवारा की प्रस्तुतियां होंगी।
उन्होंने बताया कि दोपहर के भोजन के बाद चर्चा के लिए मंच खुला है। सुरेश ने कहा, "लोक और आदिवासी कला और लोकगीत हमारे देश की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न अंग बन गए हैं। उनके अस्तित्व के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना महत्वपूर्ण है। यह उत्सव के पीछे मूल विचार है।"
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Nousheen
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