कर्नाटक

पति का अपमान करना क्योंकि उसकी त्वचा का रंग "साँवला"

Sonam
8 Aug 2023 11:06 AM GMT
पति का अपमान करना क्योंकि उसकी त्वचा का रंग साँवला
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कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnatka High Court) ने बोला कि अपने पति की त्वचा का रंग ‘‘काला” होने के कारण उसका अपमान करना क्रूरता है तथा यह उस आदमी को तलाक की स्वीकृति दिए जाने की ठोस वजह है। हाई कोर्ट (High Court) ने 44 वर्षीय आदमी को अपनी 41 वर्षीय पत्नी से तलाक दिए जाने की स्वीकृति देते हुए हाल में एक निर्णय में यह टिप्पणी की। न्यायालय ने बोला कि मौजूद साक्ष्यों की बारीकी से जांच करने पर निष्कर्ष निकलता है कि पत्नी काला रंग होने की वजह से अपने पति का अपमान करती थी और वह इसी वजह से पति को छोड़कर चली गयी थी।

उच्च न्यायायल ने हिंदू शादी अधिनियम की धारा 13(1)(ए) के अनुसार तलाक की याचिका मंजूर करते हुए कहा, ‘‘इस पहलू को छिपाने के लिए उसने (पत्नी ने) पति के विरुद्ध गैरकानूनी संबंधों के झूठे इल्जाम लगाए। ये तथ्य निश्चित तौर पर क्रूरता के समान हैं।” बेंगलुरु के रहने वाले इस दंपति ने 2007 में विवाह की थी और उनकी एक बेटी भी है। पति ने 2012 में बेंगलुरु की एक पारिवारिक न्यायालय में तलाक की याचिका दाखिल की थी। स्त्री ने भी भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (विवाहित स्त्री से क्रूरता) के अनुसार अपने पति तथा ससुराल वालों के विरुद्ध एक मुद्दा दर्ज कराया था।

उसने घरेलू अत्याचार कानून के अनुसार भी एक मुद्दा दर्ज कराया और बच्ची को छोड़कर अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। उसने पारिवारिक न्यायालय में आरोपों से इनकार कर दिया और पति तथा ससुराल वालों पर उसे प्रताड़ित करने का इल्जाम लगाया। पारिवारिक न्यायालय ने 2017 में तलाक के लिए पति की याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया था।

न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति अनंत रामनाथ हेगड़े की खंडपीठ ने कहा, ‘‘पति का बोलना है कि पत्नी उसका काला रंग होने की वजह से उसे अपमानित करती थी। पति ने यह भी बोला कि वह बच्ची की खातिर इस अपमान को सहता था।” हाई कोर्ट ने बोला कि पति को ‘‘काला” बोलना क्रूरता के समान है।

उसने पारिवारिक न्यायालय के निर्णय को रद्द करते हुए कहा, ‘‘पत्नी ने पति के पास लौटने की कोई प्रयास नहीं की और रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य यह साबित करते हैं कि उसे पति का रंग काला होने की वजह से इस विवाह में कोई दिलचस्पी नहीं थी। इन दलीलों के संदर्भ में यह निवेदन किया जाता है कि पारिवारिक न्यायालय शादी भंग करने का आदेश दें।”

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