कर्नाटक
जर्जर इमारत और पुल का पता लगाएगी IIT की खास डिवाइस, जानें इसकी खासियत
Deepa Sahu
2 Jan 2022 8:44 AM GMT
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किसी भी इमारत या पुल की मजबूती इसके निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
कानपुर, किसी भी इमारत या पुल की मजबूती इसके निर्माण में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। कैसे इस गुणवत्ता का आकलन कर इमारत या पुल की उम्र और मजबूती का आकलन किया जाए, यह सब पता लगाना जल्द ही आसान हो जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के विज्ञानी इस दिशा में काम कर रहे हैं। इमारत, पुल व अन्य संरचना को बनाने में उपयोग की गर्ई सरिया, स्टील या अन्य धातु की क्षमता और गुणवत्ता का पता लगाने के लिए विशेष उपकरण बना रहे हैं। अगले छह माह में उपकरण तैयार होने की उम्मीद है।
भूकंप आने पर इमारतें ताश के पत्तों की तरह धराशायी हो जाती हैं। अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप के दौरान यही हुआ था। इसके बाद भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने ऐसा उपकरण बनाने का प्रस्ताव तैयार किया, जिससे इमारतों में लगी सरिया व अन्य धातुओं की क्षमता को मापकर इमारत की मजबूती का आकलन किया जा सके। उद्देश्य यह कि समय से पहले ही हादसों या आपदा से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिल सके। पिछले वर्ष आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों ने इस दिशा में काम शुरू किया।
तापमान या अन्य कारण से इमारतों के पिलर, ङ्क्षलटर आदि में लगी धातु में आ रही खराबी-कमजोरी या उसके संयोजन में बदलावों की जानकारी जुटाने का उपकरण बनाना शुरू किया। उपकरण को इमारत बनने के दौरान संबंधित धातु से जोड़कर लगाया जाएगा और साफ्टवेयर से कनेक्ट करके धातु की क्षमता को मापा जा सकेगा। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि उपकरण बनने के बाद सभी धातुओं की गुणवत्ता की लगातार निगरानी करने में आसानी हो सकेगी।
भारत सरकार की ओर से दिया गया बजट
उपकरण के बनने में आने वाला खर्च भारत सरकार देगी। वर्तमान समय में सबसे ज्यादा प्रयोग स्टील का होता है, इसलिए पहले इसकी क्षमता का आकलन किया जाएगा। पुल या इमारत की पूरी मजबूती का पता लगाने के लिए निर्माण के दौरान उपकरण को कई हिस्सों पर लगाने की जरूरत पड़ेगी। बाद में उससे कनेक्शन जोड़कर साफ्टवेयर की मदद से संचालित कर सकेंगे।
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