कर्नाटक

'मुसलमानों की दुकान से न खरीदें मीट', कर्नाटक में उगाडी 2022 से पहले हलाल मीट को लेकर विवाद क्यों?

Rani Sahu
31 March 2022 10:39 AM GMT
मुसलमानों की दुकान से न खरीदें मीट, कर्नाटक में उगाडी 2022 से पहले हलाल मीट को लेकर विवाद क्यों?
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कर्नाटक में हिजाब विवाद का मामला ठंडा नहीं पड़ा था कि अब नए विवाद ने जन्म ले लिया है

बेंगलुरु : कर्नाटक में हिजाब विवाद का मामला ठंडा नहीं पड़ा था कि अब नए विवाद ने जन्म ले लिया है। राज्य में हलाल मीट का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। अब हिंदू संगठन अभियान चलाकर जगह-जगह पर्चे बांट रहे हैं और मुसलमानों की दुकान से हलाल मीट नहीं खरीदने को को कहा जा रहा है। राज्य में कुछ जगहों पर इसे लेकर झड़प भी हुई। हलाल और झटका मीट को लेकर आपस बहस शुरू हो गई है। दक्षिणपंथी समूह हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।

हिंदू जागृति समिति, श्रीराम सेना, बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठन गुरुवार को कर्नाटक में सड़कों पर घूमे। लोगों के बीच और दुकानों में जाकर पर्चे बांटे की मुसलमानों की दुकान से हलाल मीट न खरीदें। उन्होंने मीट बेचने वाली दुकानों को डिस्प्ले बोर्डों से हलाल हटाने को भी कहा। हिंदुओं से मांग की जा रही है कि वे हलाल की जगह झटका मीट खरीदें।
डोर टू डोर कैंपेन शुरू
चिकमगलूर जिले में बजरंगदल इकाई ने हिंदुओं को उगाडी उत्सव से पहले हलाल मीट (Halal Meat) मुसलमानों से नहीं खरीदने के लिए कहते हुए पर्चे बांटे। उन्होंने डोर टू डोर अभियान भी चलाया। मुस्लिम मुर्गे की दुकानों से मांस की खरीद के खिलाफ दल ने राज्य स्तरीय अभियान शुरू किया।
क्या है हलाल और झटका?
मीट दो तरीके के होते हैं हलाल और झटका। दरअसल हलाल और झटका इन दोनों तरीकों से किसी जानवरों को काटा जाता है। हलाल में जानवर की नस काट दी जाती है और उसे धीरे-धीरे मारा जाता है। मुसलमान मानते हैं कि यह मांस शुद्ध होता है। वहीं झटके में किसी जानवर को एक वार में ही काट दिया जाता है।
हलाल और झटका को लेकर यह विवाद
हलाल मीट को लेकर विवाद हो रहा है कि मुसलनान जानवर को मक्का की तरह मुंह करके उसके गले की नस काटते हैं। इस दौरान वह अल्ला का नाम लेते हैं। उसे तड़पा-तड़पाकर मारते हैं। मुसलमान हलाल मीट को ही खाने योग्य मानते हैं। उनमें झटका मीट खाने की मनाही होती है।
हिंदुओं में जानवर की बलि झटके में दी जाती है। माना जाता है ईश्वर का नाम लेकर एक ही वार में जानवर की गर्दन धड़ से अलग कर दी जाती है। इससे जानवर को कम दर्द होता है। इसे बलि देना कहते हैं।
हलाल मीट क्यों न खरीदें हिंदू?
हिंदू जन जागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने आरोप लगाया कि मुस्लिम दुकानों पर मिलने वाला मीट धर्मनिष्ठ नहीं होता है और इसलिए इसे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। गौड़ा ने बताया, 'उगाडी के अगले दिन घरों में नॉनवेज पकाया जाता है और उसे देवी-देवता को चढ़ाया जाता है लेकिन मुस्लिम व्यापारी इसे अपने ईश्वर को चढ़ाने के बाद ही बेचते हैं। उन्होंने आगे कहा, 'इसलिए यह हमारे त्योहार के योग्य नहीं है। हमने मुस्लिम व्यापारियों द्वारा बेचे जाने वाले मीट के बहिष्कार फैसला लिया है।'
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