कर्नाटक : कर्नाटक चुनाव में सीधी लड़ाई बेशक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है, मगर इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर का सियासी मर्सिया पढ़ रहे राजनीतिक पंडितों का अनुमान गलत साबित हो सकता है। पुराने मैसूर क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक जिलों के अपने परंपरागत गढ़ में जेडीएस अधिकांश सीटों पर कांग्रेस को कड़ी टक्कर देती दिख रही है।
चुनाव में कांग्रेस की हवा चलने की चर्चाओं-दावों के बीच जेडीएस अपने सामाजिक आधार वोट बैंक वोक्कालिगा को अब तक जिस तरह से थामे नजर आ रहा उससे साफ है इस चुनाव में जेडीएस का अस्तित्व धराशायी का आकलन करने वालों को शायद निराशा हाथ लगेगी। जेडीएस चुनाव के दिन तक अपने सियासी विकेट पर टिका रहा तो कर्नाटक में स्पष्ट बहुमत के कांग्रेस के दावों पर ग्रहण लगने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
शायद यह आशंका ही है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार से लेकर पार्टी के तमाम दिग्गजों ने पुराने मैसूर क्षेत्र में धुआंधार प्रचार के साथ जेडीएस पर प्रहार तेज कर दिया है। पुराने मैसूर क्षेत्र के जिले हासन, तुमकुर और चामराजनगर में रविवार को राहुल गांधी की तीन सभाएं हुईं तो सोमवार को चिकमंगलुरू में रोड शो हुआ और अभी उनकी कुछ और चुनावी रैलियों की उम्मीद है। इस क्षेत्र को लेकर कांग्रेस की ताजा चिंता की वजह बोम्मई सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को अपने पक्ष में गोलबंद करने के उसके प्रयासों में जेडीएस का यह अवरोध है।