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गंगा के किनारों पर होने वाली आरती से प्रेरणा लेते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तुंगभद्रा आरती की घोषणा की है
गंगा के किनारों पर होने वाली आरती से प्रेरणा लेते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तुंगभद्रा आरती की घोषणा की है। राज्य के दावणगेरे जिले के हरिहर में तुंगभद्रा आरती परियोजना के हिस्से के रूप में 108 योग मंतपों के निर्माण की आधारशिला रखने के बाद बोम्मई ने रविवार को कहा कि तुंगभद्रा नदी के तट को उच्च श्रेणी की पर्यटक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी में) का जीर्णोद्धार किया है। इसे पहले भीड़भाड़ वाली गलियों की वजह से खोजना पड़ता था। लेकिन अब सभी घाटों को साफ कर दिया गया है और मंदिर को एक भव्य रूप दिया गया है जहां गंगा आरती बड़े उत्साह के साथ की जा रही है। इसी तर्ज पर हम दक्षिण में तुंगभद्रा आरती आयोजित करना चाहते हैं।'
बोम्मई ने आगे कहा कि इस संबंध में वचनानंद स्वामी के मार्गदर्शन में एक परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस परियोजना में हरिहरेश्वर से पैदल मार्ग का विकास, प्रदूषित नदी के पानी की सफाई और शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण की रोकथाम शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'भगवान हरि और भगवान हर का संगम अद्भुत परिणाम लाएगा।'
नदी की सफाई की आवश्यकता को उल्लेखित करते हुए बोम्मई ने कहा कि पानी प्रकृति के पांच तत्वों में से एक है और इसकी सफाई सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हरिहर चेन्नई-मुंबई औद्योगिक गलियारे का हिस्सा है और इस शहर को विकास के लिए सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोक निर्माण विभाग ने 40 किलोमीटर सड़कों के विकास का काम लिया है।
उन्होंन बताया कि सरकार ने हरिहर के व्यापक विकास के लिए कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं, जो इसी साल शुरू हो जाएंगे। यह कहते हुए कि सभ्यताएं नदियों के किनारे जन्म लेती हैं, उन्होंने कहा कि हर नदी ने अपनी संस्कृति को बढ़ावा दिया है। बोम्मई ने कहा, सभ्यता और संस्कृति साथ-साथ बढ़ते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सभ्यता अपने आप में ही एत संस्कृति है, मगर असल में ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा, 'सभ्यता परिवर्तन है जबकि हम जो हैं वह संस्कृति को दर्शाता है। तुंगभद्रा के तट पर भी सभ्यता पनपी थी।' तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हरिहर शहर का नाम हरिहर के ऐतिहासिक मंदिर के नाम पर पड़ा। नक्काशीदार मूर्तियों वाले मंदिर में हरिहर देवता हैं, इसमें हरि का अर्थ विष्णु और हर का अर्थ शिव है। होयसला वंश ने इस मंदिर का निर्माण करीब 800 साल पहले करवाया था।
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