कर्नाटक

जाति जनगणना : लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक सरकार मुश्किल में

Rani Sahu
3 Oct 2023 2:01 PM GMT
जाति जनगणना : लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक सरकार मुश्किल में
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बेंगलुरु (आईएएनएस)। कर्नाटक सरकार जाति जनगणना रिपोर्ट जारी करने को लेकर असमंजस में है, जिसे कर्नाटक में प्रभावशाली जाति समूहों के विरोध के डर से लगातार राज्य सरकारों ने वर्षों से स्थगित रखा है।
बिहार सरकार ने गांधी जयंती के मौके पर जातीय जनगणना रिपोर्ट जारी की है।
कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्री मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर राज्य की जाति जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार करने और उत्पीड़ित वर्गों को न्याय देने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री लोकसभा चुनावों से पहले सावधानीपूर्वक अपनी रणनीति बना रहे हैं।उन्‍होंने प्रभावशाली जाति समूहों, विशेष रूप से वोक्कालिगा और लिंगायतों को कभी नाराज नहीं किया था।
पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जारकीहोली ने कहा है कि जातीय जनगणना रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और जल्‍द ही जारी की जाएगी।
उन्होंने कहा, ''इसे जल्द ही स्वीकार किया जाना चाहिए और लागू किया जाना चाहिए। सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने राज्य में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक जनगणना कराने के लिए 162 करोड़ रुपये खर्च किए थे। हम पर रिपोर्ट लागू करने का दबाव है।''
जारकीहोली ने कहा कि राज्य सरकार चर्चा कर रही है और रिपोर्ट के कार्यान्वयन के बाद जनसंख्या के अनुसार लोगों को प्रतिनिधित्व देना और बजट में धन उपलब्ध कराना संभव है।
उन्होंने कहा, ''इस पृष्ठभूमि में जाति जनगणना रिपोर्ट का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है।''
कांग्रेस एमएलसी और पार्टी के वरिष्ठ नेता बी.के. हरिप्रसाद ने नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे जाति जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार करने का साहस दिखाएं और जनसंख्या के अनुसार लाभ देने के उपाय करें।
जाति जनगणना के नाम से मशहूर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण 2015 में एच. कंथाराज की अध्यक्षता वाले कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (केएसबीसीसी) द्वारा किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में एससी और एसटी समूह बहुसंख्यक हैं, उसके बाद मुस्लिम हैं। सबसे अधिक जनसंख्या माने जाने वाले लिंगायतों को तीसरे सबसे बड़े समूह के रूप में दिखाया गया और वोक्कालिगा जो दूसरे स्थान पर थे, उन्हें चौथा स्थान मिला।
इन तथ्यों ने राज्य में हलचल पैदा कर दी और एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि मुस्लिम समुदाय को दूसरी सबसे बड़ी आबादी के रूप में दिखाया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्रियों बी.एस. येदियुरप्पा, एच.डी. कुमारस्वामी और बसवराज बोम्मई ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इस रिपोर्ट पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई थी।
हालांकि, सिद्दारमैया के वापस सत्ता में आने से, उत्पीड़ित वर्गों और अल्पसंख्यकों को उम्मीद है कि वह रिपोर्ट को स्वीकार करेंगे।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि इस बात की अधिक संभावना नहीं है कि लोकसभा चुनाव खत्म होने तक जाति जनगणना रिपोर्ट पर काम किया जाएगा। मामला कोर्ट तक भी जा चुका है। कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय को अपनी ओर झुकाने में कामयाब रही, पार्टी ने डी.के. शिवकुमार को वोक्कालिगा चेहरे के रूप में आगे कर इस समुदाय को अपने पक्ष में कर लिया और शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री बनाया। यह समुदाय पहले पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के परिवार के साथ एकजुट था।
लिंगायत वोटर जो मजबूती से भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के साथ खड़े थे, दशकों बाद काफी हद तक कांग्रेस की ओर रुख कर चुके हैं।
ऐसे में कांग्रेस जाति जनगणना के मुद्दे को लेकर संभलकर कदम रख रही है।
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