कर्नाटक

जन्म से अंधी गोल्ड मेडेलिस्ट, कंपनी बनाकर अंधे बच्चों को पढ़ा रही

Rani Sahu
21 March 2022 11:00 AM GMT
जन्म से अंधी गोल्ड मेडेलिस्ट, कंपनी बनाकर अंधे बच्चों को पढ़ा रही
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जन्म से ही अंधी विद्या ने बेंगलुरु ग्रामीण जिले के एक गांव में अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए जब एक स्कूल में दाखिला लिया तो गणित और विज्ञान विषयों में रुचि के बावजूद उसे ये कठिन लगते थे

मैसूर. बचपन में गणित विषय को चुनने के लिए उनका मजाक उड़ाया गया और कई स्कूलों और शिक्षकों ने विज्ञान की आगे की पढ़ाई को जारी रखने से रोकने की कोशिश की. कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करने का बावजूद विद्या वाई ने बड़ा सपना देखने की हिम्मत की. उसने अपने पोस्ट-ग्रेजुएशन में न केवल स्वर्ण पदक हासिल किया, बल्कि आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (Science, Technology, Engineering, and Mathematics-STEM) विषयों में नेत्रहीन लोगों को पढ़ाई के लिए मदद कर रही हैं.

जन्म से ही अंधी विद्या ने बेंगलुरु ग्रामीण जिले के एक गांव में अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए जब एक स्कूल में दाखिला लिया तो गणित और विज्ञान विषयों में रुचि के बावजूद उसे ये कठिन लगते थे. उसने इससे निपटने के लिए स्कूल के बाद एक ट्यूटर की मदद भी ली. दृढ़ निश्चयी, विद्या ने अपने प्री-यूनिवर्सिटी में एक ऐच्छिक के रूप में गणित का विकल्प चुना और अच्छे अंकों के साथ पास होने वाली राज्य की पहली दृष्टिहीन छात्रा बन गई. विद्या ने कहा कि बचपन से ही मुझे नंबरों का शौक रहा है. अब भी मेरी मां को ऐसे उदाहरण याद आते हैं, जब मैं बचपन में एक-एक राई और चावल के दाने गिनती थी. स्वभाव से ही मेरा गणित और विज्ञान के प्रति आकर्षण था.
विद्या बताती हैं कि नेत्रहीनों के लिए इन विषयों को पढ़ाने के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं थी. पीयूसी के बाद उन्होंने बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन किया. से पूरा करने के बाद उन्होंने IIIT-बेंगलुरु में डिजिटल सोसाइटी प्रोग्रामिंग में मास्टर प्रोग्राम में दाखिला लिया और इस कोर्स में गोल्ड मेडल भी हासिल किया. इसके बावजूद कोई भी कंपनी उन्हें काम पर रखने को तैयार नहीं थी. तभी उन्होंने इस धक्के को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया. एक उद्यमी के रूप में उन्होंने अंधे छात्रों के लिए एसटीईएम शिक्षा को सुलभ बनाने का काम शुरू किया
विद्या, एक आईटी पेशेवर सुप्रिया डे और संस्थान के प्रोफेसर अमित प्रकाश ने मिलकर विजन एम्पॉवर (वीई) की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है. इसने एसटीईएम विषयों, कम्प्यूटेशनल प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक मंच तैयार किया है. इसकी शाखा 'वेम्बी टेक्नोलॉजीज' ने 'हेक्सिस-अंतरा' नामक बच्चों के लिए दुनिया का सबसे किफायती ब्रेल पुस्तक पढ़ने का उपाय भी विकसित किया है. विजन एम्पावर वर्तमान में छह राज्यों के 30 से अधिक स्कूलों के साथ काम कर रहा है. इसके काम में विशेष रूप से दृष्टिहीन शिक्षकों के लिए एसटीईएम और डिजिटल साक्षरता का प्रशिक्षण कराना शामिल है. इस वर्ष वे 300 से अधिक स्वयंसेवकों की सहायता से 18,000 से लोगों को इसका लाभ देने में सफल रहे. आने वाले वर्ष के लिए देश भर के 100 स्कूलों तक पहुंचने की उनकी योजना है.
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